श्री गंगानगर (राजस्थान) स्थित गंग नहर जिसका नाम अचानक सन 1984 में इंदिरा गांधी नहर कर दिया गया ।
भारतीय जन महासभा ने फिर से नहर का नाम गंग नहर करने की मांग की है ।
इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि गंग नहर जिसे बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी ने बनवाया था का नाम अचानक सन 1984 में स्वार्थवश इंदिरा गांधी नहर किया जाना दुखद है ।
कहा कि महाराजा गंगा सिंह जी ने जब देखा कि जनता को पानी की दिक्कतें हो रही है , जो पीने एवं सिंचाई के काम के लिए आवश्यक है ; तो उन्होंने इस नहर का निर्माण करवाया ।
अब यह नहर पेयजल , सिंचाई , उद्योग , सेना एवं ऊर्जा परियोजनाओं के काम आती है ।
बताया कि सतलुज नदी के जल को राजस्थान में लाने हेतु 4 दिसंबर 1920 को बीकानेर , भावलपुर और पंजाब राज्यों के बीच सतलुज नदी घाटी समझौता हुआ था ।
गंग नहर की आधारशिला फिरोजपुर हेडबाक्स पर 5 सितंबर 1921 को महाराजा गंगा सिंह जी के द्वारा रखी गई ।
26 अक्टूबर 1927 को श्रीगंगानगर के शिवपुर हेडबॉक्स पर इस नहर का उद्घाटन किया गया था ।
यह नहर सतलुज नदी से पंजाब के फिरोजपुर के हुसैनीवाला से निकाली गई है । श्रीगंगानगर के सखा गांव से यह राजस्थान में प्रवेश करती है ।
कहा कि फिरोजपुर से शिवपुर हेड तक नहर की लंबाई 129 किलोमीटर है , जिसमें से पंजाब में 112 किलोमीटर एवं राजस्थान में 17 किलोमीटर है ।
पोद्दार ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से मांग की है कि इस नहर का नाम उसके निर्माता बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी के नाम पर 'गंग नहर' ही वापस रखा जाए ।
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