निजी संस्मरण पर आधारित "दरभंगा हाउस" पुस्तक प्रकाशित
पटना से हमारे संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा
जानीमानी कवयित्री और लेखिका के.मंजरी श्रीवास्तव की पुस्तक "दरभंगा हाउस" प्रकाशित कर दिया गया है।
इस पुस्तक में के. मंजरी श्रीवास्तव ने 22 वर्षों की निजी संस्मरण को शामिल करते हुए ऐसा लिखा गया है कि पुस्तक पढ़ने वालों की जेहन में जो दरभंगा हाउस के विद्यार्थी रहे हैं उन्हें उनकी अपनी कहानी लगने लगेगा।
दरभंगा हाउस (कॉलेज बेमिसाल मेरे बेहतरीन साल) को श्वेतवर्णा प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित की गयी है।
लेखिका के. मंजरी श्रीवास्तव के अनुसार, 'दरभंगा हाउस' पुस्तक हालाँकि मेरा संस्मरण है, लेकिन यह संस्मरण हर उस इंसान को अपना संस्मरण लगेगा जो दरभंगा हाउस का विद्यार्थी रहा है। दरभंगा हाउस के दिन मेरे जीवन के सबसे सुनहरे दिनों में से एक थे। यह वे दिन थे जिन पर आज की मंजरी की नींव रखी जा रही थी। इसलिए आज 22 वर्षों बाद भी वे दिन मेरे जेहन में यूं ही तरोताजा है और मुझे यकीन है कि जो भी दरभंगा हाउस के विद्यार्थी रहे हैं उनके जीवन में सबसे यादगार दिन दरभंगा हाउस वाले दिन ही रहे होंगे। उन्होंने ने कहा कि मेरी यह किताब दरभंगा हाउस के हर विद्यार्थी को उसकी अपनी कहानी लगेगी ऐसा मेरा विश्वास है।
ध्यातव्य है कि के. मंजरी श्रीवास्तव लंबे समय से बतौर नाट्य विशेषज्ञ एनएसडी से जुड़ी कवि एवं नाट्यविद हैं। हिंदी कविता और नाट्य आलोचना/समीक्षा के क्षेत्र में सक्रिय मंजरी कई वर्षों से कालिदास सम्मान की चयन समिति की सदस्य हैं।उन्होंने दरभंगा हाउस से इतिहास में एम.ए. और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। मंजरी कलावीथी नामक साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था की संस्थापक भी हैं।
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