बेटे में कांटे लग गये मानो

बेटे में कांटे लग गये मानो

बेटे में कांटे लग गये मानो,
दामाद नजर बेटा आता है,
है कैसी जग में रीत चली,
बस बेटी से रिश्ता भाता है।

मां जाती बेटी के घर, 
बूढ़ा बाप रहे घर पर,
घर को रोटी देने वाला, 
भूखा ही सो जाता है।

वृद्ध गये वृद्धाश्रम तो,
बहु को दोष दिया जाता,
बेटी को आराम मिले बस,
बहु पर बोझा डाला जाता है।

बेटी का ससुराल में राज हो,
घर में कोई आगे न पीछे हो,
बहु करें कुछ आनाकानी तो
परिवार सार सिखाया जाता है।

कैसे बनें मापदंड दोहरे,
बेटी बहु में फर्क निगोरे।
रहने लगे तन्हां जब सब,
रूतबा भी घटता जाता है।

अ कीर्ति वर्द्धन
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