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स्वास्थ्य हेतु हानिकारक ‘जंक फूड’ के लोभ में न फंसकर स्वदेशी और ताजा अन्न ग्रहण करें और स्वस्थ रहें ! - वैद्य सुविनय दामले, राष्ट्रीय गुरु, आयुष मंत्रालय


‘विदेशी जंक फूड : पोषण या आर्थिक शोषण ?’ इस विषय पर विशेष संवाद !

स्वास्थ्य हेतु हानिकारक ‘जंक फूड’ के लोभ में न फंसकर स्वदेशी और ताजा अन्न ग्रहण करें और स्वस्थ रहें !
 - वैद्य सुविनय दामले, राष्ट्रीय गुरु, आयुष मंत्रालय

    'जंक फूडको आयुर्वेद में 'विरुद्ध अन्नकहा गया है । शरबतनारियल पानी जैसे भारतीय पेय पीने के स्थान पर स्वास्थ्य हेतु हानिकारक कोल्डड्रिंंक्स के लोभ में हम फंस जाते है । मैगीबिस्किट जैसे अन्य विविध पैकबंद पदार्थों के वेष्टन पर प्रोटीनकैलरी इत्यादि अनेक उत्तम घटक होने का दावा विदेशी और देशी प्रतिष्ठान करते हैपरंतु यह सत्य नहीं है । विविध आकर्षक पद्धति से 'जंक फूडके विज्ञापन कर जनता को भ्रमित किया जाता है । सरकार को इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए । 'जंक फूडदेशी हो अथवा विदेशी होभारतीयों को उसका त्याग करना चाहिए । आयुर्वेद में बताए अनुसार जिस अन्न पर वायुसूर्यप्रकाश और चंद्रप्रकाश का स्पर्श अथवा संपर्क हुआ होवह अन्न ही खाना चाहिए । स्वास्थ्य हेतु हानिकारक 'जंक फूडके लोभ में न फंसकर स्वदेशी और ताजा अन्न खाकर स्वस्थ रहेंऐसा आवाहन 'आयुष मंत्रालयके राष्ट्रीय गुरु वैद्य सुविनय दामले ने किया । वे 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिनके निमित्त 'आरोग्य साहाय्य समितिद्वारा आयोजित 'विदेशी जंक फूड पोषण या आर्थिक शोषण ?' इस ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर द्वारा 3,033 लोगों ने देखा ।
    विदेशी कंपनी 'नेस्लेका सत्य बताते हुए उत्तरप्रदेश के 'भूतपूर्व सैनिक कल्याण संगठनके संगठन मंत्री श्रीइन्द्रसेन सिंह ने कहा किप्रत्येक खाद्यपदार्थ की गुणवत्ता जांचकर उसकी जानकारी जनता के समक्ष रखने के उपरांत ही उसे बिक्री की अनुमति देनी चाहिएपरंतु अभी ऐसा नहीं किया जाता । अनेक प्रतिष्ठानों के पास 'पैकबंदभोजन और पानी के विषय में उचित अनुमति पत्र (लाइसेंसन होते हुए भी उन्हें देश में व्यवसाय करने दिया जा रहा है । 'एफएसएसएआयऔर 'एफडीओजैसी संस्थाएं जब तक निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त कार्य नहीं करेंगीतब तक भारतीयों को पौष्टिक भोजन मिलना लगभग असंभव है ।

     इस समय खाद्य और पोषण विशेषज्ञ श्रीमती मीनाक्षी शरण ने कहा किजंक अर्थात कचरा जिस अन्न में कोई पोषकतत्त्व नहीं होतेउसे 'जंक फूडकहा जाता है । 'जंक फूडखानास्वयं के पेट में कचरा भरना है । इससे शरीर का पोषण नहींकुपोषण होता है । इस श्रेणी में सभी बेकरीहवाबंद पदार्थ और पेय सम्मिलित है । केवल छोटे बच्चे ही नहींअपितु अभिभावक भी 'जंक फूडके लोभ में फंस जाते हैं । भारतीय आहारशास्त्र का जीवन में पालन करना चाहिए । इस समय 'आरोग्य साहाय्य समितिकी समन्वयक अश्‍विनी कुलकर्णी ने कहा किप्रशासन की उदासीनता के कारण पूरे देश में सभी ओर निकृष्ट स्तर के खाद्यपदार्थ ही उपलब्ध हैं । अन्न में मिलावट प्राप्त होने पर उसके विरोध में कहां परिवाद (शिकायतकरनी हैयह सामान्य नागरिकों को ज्ञात नहीं होता । 'अन्न में मिलावट यह विषय शालेय पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों को सिखाना चाहिएऐसी हमारी पहले से ही मांग रही है । सर्वोच्च न्यायालय के आदेश उपरांत भी देश के किसी भी राज्य के आयुक्त ने दूध और अन्न की मिलावट के विषय में कार्यशाला आयोजित नहीं की । इसके विरोध में हम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर रहे हैं । 
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