Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

गंगा की जमीन पर बगल में पर्यटन केंद्र ही बनवा दिया।

 गंगा की जमीन पर बगल में पर्यटन केंद्र ही बनवा दिया। 

आज गंगा दशहरा है। पुरानी मान्यता है कि आज के दिन से ही गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने लगती है। पटना दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है और यह गंगा के तट पर बसा हुआ है। हमारी लापरवाही, लालच और मूर्खता और सरकार की उदासीनता की वजह से गंगा प्रदूषित हो कर शहर से दूर जा चुकी है।
गंगा बाढ़ क्षेत्रों में अवैध निर्माण के कारण गंगा का मार्ग अवरूद्ध हो चुका है। पिछले दिनों गंगा के बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण का मामला उठाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। पटना के ही रहने वाले अशोक कुमार सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया था। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने 30 जून, 2020 को यह याचिका खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार ने अब तक जबाब दाखिल किया या नहीं और जवाब में क्या कहा- यह भी पता! लेकिन इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण अनवरत जारी है।
पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि गंगा के बाढ़ क्षेत्र में बिहार के एक महामहिम राज्यपाल ने तो चौक थाना, पटना सिटी के चिमनी घाट पर गुरूद्वारा के निर्माण के लिए गंगा की जमीन ही दे दी थी। हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री ने भी इसी गंगा की जमीन पर बगल में पर्यटन केंद्र ही बनवा दिया। अब तो गंगा की जमीन पर शहर ही बसने लगा है और यह प्रक्रिया बिना रोक टोक के अनवरत जारी है।
मालूम हो कि पिछले वर्षों के गुरूपर्वों में पटना सिटी में गंगा के किनारे गंगा की जमीन पर ही टेंट सिटी बनाकर सिख यात्रियों को ठहराया गया। अटूट लंगर चला और सभी यात्रियों के जूठन और मल-मूत्र को गंगा में बहाया गया। गंगा न केवल प्रदूषित हुई बल्कि अपवित्र होकर मैली भी हुई और गंगा में आस्था रखने वालों की भावनाएं आहत हुई थी।
अब तो चिमनी घट पर बने गुरुद्वारा के बगल में स्थाई लंगर हाल का निर्माण कर स्थाई रूप से गंगा को प्रदूषित करने का इन्तजाम कर दिया जा रहा है। कहां गई केंद्र सरकार की राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का गंगा और उसे प्रदूषण से बचाने की योजना? राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अपने उद्देश्यों में बुरी तरह असफल रही है। जिन उद्देश्यों को लेकर इसका गठन हुआ, उसका निर्वाह यह उचित तरीके से नहीं कर रही है। उल्लेखनीय कि सरकार ने चिमनी घाट को अघोषित रूप से कंगन घाट कर दिया है ।
पिछले 24फरवरी 2021को चिमनी घाट पर स्थापित गुरूद्वारा के बगल में लंगर हाल, सराय के साथ स्कूल का शिलान्यास किया गया था। इसे अगले साल गुरूपर्व के पहले तैयार किए जाने की योजना है।
पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने बिहार सरकार से गंगा के बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। राकेश कपूर ने बताया कि 2017 में इस संबंध में कलकत्ता जाकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को पत्र के माध्यम से सूचित किया था। पटना उच्च न्यायालय ने गंगा के प्रदूषण का मामला होने की वजह से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के पास जाने का आदेश दिया था।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ