फिसिर फिसिर बस बरस रहल हे
धरती घामा ला तरस रहल हे।
तीअन तरकारी हर लेलई
ई जेठ के बदरा।
लबालब भर गेल हे पोखरा
डबडबायेल हे गाँव के अहरा।
सब खेतवन के भर देलई
ई जेठ के बदरा।
बउरयलन सब नदी औ नाला
आवा जाही पर लगल हे ताला।
समय से पहिले तर गेलई
ई जेठ के बदरा।
रजनीकांत।
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