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महाराणा प्रताप की जयंती आगामी ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया तदनुसार 13 जून 2021 को है ।

महाराणा प्रताप की जयंती आगामी ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया तदनुसार 13 जून 2021 को है ।


इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि महाराणा प्रताप के वंशज विगत 400 वर्षों से उनकी जयंती ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को ही मनाते हैं ।

भारतीय जन महासभा ने निर्णय लिया है कि महाराणा प्रताप की जयंती उनके वंशजों के द्वारा मनाई जाने वाली हिंदू तिथि (विक्रम तिथि) के अनुसार ही मनाई जाएगी ।


कहा कि भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बम धमाका कर संपूर्ण देशवासियों को जगाने का काम किया था ।


भारतीय जन महासभा ने निर्णय लिया है कि देश के 25 से 30 स्थानों पर महाराणा प्रताप की जयंती मना कर संपूर्ण देश को जगाने का काम किया जाएगा और बताया जाएगा कि महाराणा प्रताप महान थे ।


कहा कि जो स्कूलो की पुस्तकों में पढ़ाया जाता है कि अकबर महान थे , वह गलत है ।


जंगलों में रहते थे , यह भी गलत पढ़ाया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि 630 वर्ग मील भूमि के क्षेत्र पर वह बराबर शासन करते रहे और मुगलों से कभी हार नहीं मानी । ऐसे महान थे महाराणा प्रताप ।


बताया कि घास की रोटी खाते थे , यह सरासर गलत है और कहा है कि घास की रोटी तो बनती ही नहीं है ।


श्री पोद्दार ने कहा कि महान तो महाराणा प्रताप थे । स्कूलों में इतिहास की पुस्तकों में तत्काल प्रभाव से फेर बदल कर सत्य इतिहास को पढाए जाने की आवश्यकता है ।


इसी के तहत भारतीय जन महासभा के अनेक लोगों ने महाराणा प्रताप की जयंती अपने-अपने क्षेत्र में मनाने की स्वीकृति भेजी है ।

तदनुसार वाराणसी , प्रयागराज , नई दिल्ली , जयपुर , श्री गंगानगर (राजस्थान) , जींद एवं गुड़गांव (हरियाणा) , नैनीताल (उत्तराखंड) , बेंगलुरु (कर्नाटक) , शेगाव (महाराष्ट्र) , कोलकाता , पाकुड़ , जमशेदपुर , रामगढ़ (रांची-रामगढ़) , मोगा (पंजाब) , मेरठ , लखीसराय (बिहार) , गोड्डा , दुमका , देवघर और विदेश में सिंगापुर एवं युगांडा आदि के नाम मुख्य रूप से सम्मिलित है ।
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