अप्पन राज चला रहली हे
कर रहली हे तुष्टिकरण,
आजादी के सुख पावेला
मंत्र बड़ा हे वशीकरण।
वंशवाद के रोप ल पौधा
जाति पाति के पानी से,
नौ लखा चमचम गाड़ी हे
मत देख हैरानी से।
बेटा बेटी भाई भतीजा
मिलके मौज उड़ावी जा,
जन्ने लोके दाना पानी
एक साथ सब खा पी जा।
ई विशाल भारत भूमि हे
झंझट पटपट से दूर रह,
मानवता के पाठ पढ़ाव
झूठ झूठ बस झूठ कह।
मल्हम ले ल सहानुभूति के
कहाँ घाव हे देख मत,
चमचा के कहिअ धीरे से
फोटो खींच लेवे ला झट।
बुड़बक जनता भेड़ बनल हे
कई टुकड़ा में बँट कर के,
चिंता फिकिर मिटा रहलक हे
रात दिन अब गम पी के।
रजनीकांत।
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