जीवन का सच
संघर्षों की पारम्परिक गाथा है
जो निरन्तर अपने पथ पर
कभी तेज कभी मन्द गति से
अग्रसर रहता है
मन में भावों का क्रम
अनवरत गतिशील रहता है
किसी बिन्दु पर कभी हाँ
कभी ना की स्थिति बनने से
किंकर्त्तव्यविमूढ़ रहता है
दुःख - सुख का दरिया
यूँ ही बहता रहता है
यूँ कहें तो मनुष्य उसके जल में
डुबकियाँ लगाता रहता है
नित्य प्रति जीवन का अनुभव
अहर्निश मिलता रहता है।
------ विधुशेखर मिश्र
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