तेरी तन्हाई का
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
उठाया फायदा तेरी तन्हाई का,
तुमने उसे सजा दी बेवफाई का।१।
अपनों में नहीं गैरों में प्यार देखी,
तुम्हें फिक्र न रहा जग हंसाई का।२।
अपनी मर्जी से चाहे जहां रहती-
कुछ ख्याल रखती बाप भाई का।३।
केवल अपनी खुशी तलाशती रही,
और मिशाल पेश की बेहयाई का।४।
वो तुम्हें नहीं तेरा जिस्म चाहता है,
तुमको सपने दिखाकर सगाई का।५।
मेरी कोशिश है रोज नया घर बसे,
इच्छा नहीं रही है कुछ कमाई का।६।
अब तुम्हें इस जमाने से कैसा डर,
धब्बा लग हीं गया जब हरजाई का।७।
वलिदाद अरवल (बिहार)
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