महर्षि परशुराम के चिंतन में संवेदना और संवेदना में मानवता थी|-डॉक्टर विवेकानंद

महर्षि परशुराम के चिंतन में संवेदना और संवेदना में मानवता थी|-डॉक्टर विवेकानंद

विचार का चिराग बुझ जाने से आचार अंधा हो जाता है । जिन्हें मानवता को समझना होगा ,उन्हें महर्षि परशुराम के लोक हितकारी विचार एवं वैचारिक क्रांति को समझना पड़ेगा । क्योंकि महर्षि ने सतप्रवृत्ति वादियों को संगठित कर एकत्रित कर दुष्ट प्रवृत्तियों अनाचारियों अत्याचारियों पापियों को जड़ मूल से उखाड़ फेंक कर सत्ता का हस्तांतरण मानवता के व्यापक हित में कर दिखाया था। जिससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर विवेकानंद पथ, गया में वैदिक मंत्रोचार के साथ महर्षि परशुराम की जयंती प्रारंभ हुई एवं
बिहार के ख्याति प्राप्त साहित्यकार कवि पंडित राधा मोहन मिश्र माधव के निर्देशानुसार आभासी बैठक भी संपन्न हुआ। आयोजित आभासी बैठक का शुभारंभ
विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने उक्त बातें कहते हुए किया। उन्होंने आगे कहा की परंपरा से यह अफवाह सुनते चले आ रहे हैं, कि परशुराम अति क्रोधी दुर्बुद्धि हठी घोर अहंकारी एवं अत्यंत कठोर ऋषि थे। जबकि सत्य है कि महर्षि सकल शास्त्र के ज्ञाता अति दयालु परम ज्ञानी अत्यंत कोमल ह्रदय के तथा लोक कल्याणकारी समाज के प्रबल समर्थक थे। तभी तो वे निर्बल निरीह प्राणियों की रक्षा के लिए भगवान शंकर से वरदान प्राप्त कर शस्त्र उठाया था। तथा दुष्ट अत्याचारियों , आत ताइयों पापियों का वध कर राम राज्य का पथ प्रशस्त कर रामराज्य का संस्थापक बने थे। डॉ मिश्रा ने कहा कि महर्षि परशुराम की प्रासंगिकता पहले से अधिक बढ़ गई है। उनसे प्रेरणा लेकर वर्तमान समाज में निरंतर बढ़ रही मानवता को शर्मसार करने वाली एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित करने वाली परि घटनाएं कुरीतियां बेलगाम अन्याय हिंसा आतंकवाद भ्रष्टाचार का महा तांडव चरमराती हुई कानून एवं विधि व्यवस्था राजनीतिक आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था तथा विघटित मानवीय मूल्यों जैसी समस्याओं के समाधान के लिए परशुराम की विद्वता प्रचंडता एवं संगठित होने के लिए वैचारिक क्रांति से शिक्षा लेकर समाज में व्याप्त सभी समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है।आज के आभासी बैठक में जिन प्रमुख लोगों ने भाग लेकर अपने विचार प्रकट किए उनमें मगध विश्वविद्यालय के डॉक्टर बीएन पांडेय प्रसिद्ध इतिहासकार सत्येंद्र कुमार पाठक महेश लाल गुपुत गजाधर लाल पाठक सिद्ध नाथ मिश्रा शंभू गिरि प्रोफेसर मंगला नंद पांडे मिस्टर जी बरौली आचार्य रूप नारायण मिश्र भा.रा. ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महासचिव वैद्यराज शशि शेखर पाठक, वैद्य सच्चिदानंद पांडे डॉक्टर मंटू मिश्रा पंडित निशीकांत मिश्रा आशुतोष मिश्रा राजपुर दीपक कुमार पाठक डॉक्टर देवेंद्र पाठक पंडित सतीश कुमार वैद्य डॉक्टर सौभाग्यवती पांडे पं राजेश कुमार मिश्रा राजेश त्रिपाठी ई कुमार सौरभ मिश्रा सरिता चौबे मृदुला मिश्रा रजनी चावला चंद्र भूषण मिश्र प्रोफेसर रीना सिंह मधु मीणा पूजा कुमारी मधु आनंद देवेंद्र नाथ मिश्रा रंजीत पाठक डॉ कुमार अमितेश बीणा पांडे नीलम पासवान देव कुमार सिंह राजू मांझी नथून यादव प्रमोद शर्मा मेघा मिश्रा अनूपमा ज्ञानेश वीरेंद्र कुमार अजय कुमार मिश्रा जितेंद्र ठाकुर सुनील यादव थे।दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

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