पत्रिका के सन्दर्भ में क्या है हमारे पाठको के विचार

पत्रिका के सन्दर्भ में क्या है हमारे पाठको के विचार 

आदरणीय  सम्पादक महोदय

         दिव्य रश्मि

आज हमसबों की दिव्य रश्मि सात साल की हो गयी .कई छोटे बड़े झंझावातों को झेलते हुए दिव्य रश्मि आज भी अपनी प्रखर रश्मि से हम पाठको को दिव्य बना रही है. पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन जैसेदुरूह कार्य को अनवरत करते रहने के लिए आप और आपका पत्रिका परिवार सचमुच बधाई के पात्र हैं.

मैं इस पत्रिका का शुरू से ही गंभीर पाठक रहा हूँ. पत्रिका के प्रथम अंक से ले कर आज तक के अंकों को मैं जब देखता हूँ तो इसमें प्रकाशित सभी आलेख मुझे आज भी उतने ही नवीन लगतें हैं जैसा उसे पढ़ने में मुझे प्रथम बार लगा था..खासकर सम्पादकीय का तो क्या कहना . अगर मैं यह कहूँ की दिव्यरश्मि का हर अंक संग्रहणीय है तो यह कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.आवरण पृष्ट पर देश के महान और इतिहास पुरुषों के चित्र इसे और भी खास बना देता है.

पत्रिका के सातवें जन्मोत्सव के अवसर पर मैं दिव्य रश्मि के सफल और निर्बाध प्रकाशन की कामना करता हूँ ,और ईश्वर से प्रार्थना हूँ कि हमारी दिव्य रश्मि और भी पुष्पित और पल्लवित हो और देश भर में अपनी दिव्य रश्मि फैलाये.  डॉ.अजित कुमार पाठक , अध्यक्ष,       टैक्स पेयर्ष फोरम

"दिव्यरश्मि" अपना सातवा स्थापना दिवस भरपूर हौसले से मनाने का माद्दा रखती है क्योंकि पाटलिपुत्र की पावन धरती से इसने जो प्रचंड किरणें बिखेरीं वे अंतर्प्रांतीय होकर सुदूर अंतर्वस्तियों को प्रकाशमान कर दिनानुदिन द्युतिमान होती गयीं ।

यह ज्ञान-प्रकाश विभिन्न आयामों यथा -- समाज , संस्कृति , धर्म , अध्यात्म, साहित्य , राजनीति , कला , विज्ञान , लोकजीवन , गाँव , नगर , देश , राज्य की निस्सीमता में पसृत हो गया ।

आज यह अपनी लोकप्रियता में उच्चासीन है । जन-जन की आकांक्षाओं के संभार को करीने से सँभालने

के लिए अशेष शुभकामनाएं ।

आचार्य राधामोहन मिश्र माधव, पटना ( बिहार )

 पहले छोटी-छोटी बातों से मेरी भावनाएं आहत हो जाती थीं। इससे मैं अकेली और उदास रहने लगी थी। इसी बीच दो साल पहले दिव्य रश्मि  से मेरा परिचय हुआ और इसने मेरे जीवन की दिशा बदल दी। सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण  इसकी रचनाओं ने मुझे न केवल रिश्ते निभाना, बल्कि अपनी खुशियों के लिए जीना सिखाया। अब मैं अपनी सेहत और सौंदर्य का पूरा खयाल रखती हूं। इसकी प्रकाशित व्यंजनों को अपनी किचन में आजमा कर परिवार के सभी सदस्यों की प्रशंसा बटोरती हूं, लेकिन इस तारीफ की असली हकदार तो दिव्य रश्मि  है।

पुष्पा मिश्र , दिल्ली

आकर्षक कवर से सुसज्जित दिव्य रश्मि  का मार्च  अंक लाजवाब था। पत्रिका का यह अंक मेरे लिए व्यंजन गाइड साबित हुआ। इसकी उपयोगी रचनाओं के माध्यम से मेरे लिए होली एवं अन्य त्योहारों में पकवान बनाना आसान हो गया। यह अंक मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ।

सुमति शर्मा , बीकानेर

दिव्य रश्मि  का अप्रैल अंक मुझे विशेष रूप से पसंद आया। वैसे तो इसकी सभी रचनाएं पठनीय थीं, लेकिन सावरकर जी पर स्टोरी ने मुझे विशेष रूप से प्रभावित किया। इसके अलावा मदर्स डे पर आधारित विशेष रचना नारी हूं मैं पढकर दिल भावुक हो गया। इसमें लेखिका ने अपनी भावनाओं को सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया था।

रौशनी तनेजा , चंडीगढ

दिव्य रश्मि  का मई अंक देखकर दिल खुश हो गया। राष्ट्रवाद पर आधारित इसकी सभी रचनाओं से कई नई बातें जानने को मिलीं। इसमें बेहद रोचक जानकारी दी गई थी। आशा है कि पत्रिका के आने वाले अंकों में भी ऐसी ही स्तरीय रचनाएं पढने को मिलेंगी।

शिखा शर्मा, भोपाल

मैं नियमित रूप से दिव्य रश्मि  पढती हूं। पत्रिका के जनवरी अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी युवाओं केसामाजिक सरोकार ने हमारी सोच को नया धरातल दिया। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी रोचकथीं।

माधुरी मिश्र  , नवी मुंबई

तपती-झुलसती गर्मी के मौसम में दिव्य रश्मि  का मार्च  अंक ठंडी हवा के झोंके की तरह हमें ताजगी का एहसास करा गया। लेख व्यंजन में कई नई बातें जानने को मिलीं। परफेक्ट फूड के तहत दी गई 5 दिनों की डाइट चार्ट को मैंने अपनी किचन में लगा रखा है और उसी के अनुसार खानपान अपनाती हूं।

मनीषा सिंह, कोलकाता

दिव्य रश्मि  के सम्पादकीय से मैं बेहद प्रभावित हूं। पत्रिका के अप्रैल अंक में इस स्तंभ के अंतर्गत डॉ. मिश्र  का लेख  बेहद प्रेरक था। इसके अलावा दिव्य रश्मि  की सभी लेख पसंद आते हैं।

श्नेहा शर्मा , जोधपुर

हमेशा की तरह दिव्य रश्मि  का मई अंक बेजोड था। कवर स्टोरी भगवान परशुराम का जीवन चरित्र पर बडा ही सटीक चित्रण किया गया है। ।

अनुष्का शर्मा , पटना

मैं पिछले 5 वर्षो से दिव्य रश्मि  का नियमित पाठिका हूं। इस पत्रिका ने यह साबित कर दिया है कि यही मेरी सच्ची दोस्त है। इसने मेरा दृष्टिकोण बदल दिया है। चाहे धर्म हो या इतिहास या फिर सेहत और निष्पक्ष पत्रकारिता जीवन के हर मोड पर इसने मेरी मदद की है। इसके अलावा, खान-पान से संबंधित लेख भी मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित होते हैं।

मोनिका सिंह, मुरादाबाद

मुझे इस बात पर गर्व महसूस होता है कि मैं दिव्य रश्मि  की नियमित पाठिका हूं। पत्रिका के जनवरी अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी पढकर यह महसूस हुआ कि आज की युवा पीढी जागरूक है और वह अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है। युवाओं की सोच में आने वाला यह बदलाव प्रशंसनीय है।

चन्द्रमोहन प्रसाद , बंगलुरू

दिव्य रश्मि  का अप्रैल अंक अत्यंत सुरुचिपूर्ण एवं सारगर्भित है। कवर स्टोरी युवाओं के सामाजिकसरोकार को बेहद संजीदा ढंग से प्रस्तुत किया गया है। अगर युवाओं में यही जज्बा बरकरार रहे तो देश की दशा में सकारात्मक बदलाव अवश्य आएगा, लेकिन इसके लिए हमें स्वयं को बदलना होगा।

मंजू रानी श्रीवास्तव, लखनऊ

दिव्य रश्मि  मेरे पूरे परिवार की प्रिय पत्रिका है। मेरी सास को आस्था और अध्यात्म जैसे स्तंभ पसंद आते हैं तो बिटिया को आलेख पर आधारित रचनाएं आकर्षित करती हैं। मुझे तो पत्रिका के सभी स्थायी स्तंभ बेहद पसंद हैं, लेकिन मैं खासतौर पर रेसिपीज और सेहत संबंधी जानकारियों के लिए दिव्य रश्मि  पढना पसंद करती हूं।

ममता शर्मा , देहरादून

मैं नियमित रूप से दिव्य रश्मि  पढता हूं। पत्रिका का जनवरी अंक मेरी तरह सभी युवा पाठकों का मार्ग प्रशस्त करता नजर आया। पत्रिका की कवर स्टोरी युवाओं के सामाजिक सरोकार में आज के युवाओं की वास्तविक छवि से रूबरू कराया गया है। हालांकि पुरानी पीढी युवाओं को सामाजिक सरोकारों से अनभिज्ञ बताती है, लेकिन यह आलेख पढने के बाद बुजुर्गो का यह भ्रम जल्द ही दूर हो जाएगा।

तेज प्रताप तिवारी , इलाहाबाद

मैं पहले अंक से ही दिव्य रश्मि  का नियमित पाठक हूं। यह बाजार में मौजूद सभी पत्रिकाओं के बीच अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। इसमें प्रकाशित रचनाएं समाज के उच्च मध्यम और मध्यम वर्ग के पाठकों के बीच सेतु बनाए रखने का काम करती हैं। पत्रिका की जानकारीपूर्ण रचनाएं सम्पूर्ण परिवार के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होती हैं।

पवन पाण्डेय , कोटकपूरा (पंजाब)

लंबे अरसे के बाद अपनी प्रिय दिव्य रश्मि  को पत्र लिखते हुए ऐसा लग रहा है कि शब्द कम पड रहे हैं। पिछले दो वर्षो से जॉब की वजह से नागपुर के पास एक गांव में रहना पडा। भले मैगजीन वहां नहीं मिलती थी, लेकिन वहां भी मैं नियमित रूप से ऑनलाइन दिव्य रश्मि  जरूर पढ लेती थी। इस पत्रिकके साथ मेरा गहरा जुडाव है। इसमें कई ऐसी खास बातें हैं, जो इसे अन्य पत्रिकाओं से अलग बनाती है। इसके उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

सुरेश बारोट , सुरत, गुजरात
 दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

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