और न दुनियादारी कर

और न दुनियादारी कर

चलने की तैयारी कर 
मत दुनिया से यारी कर 

साथ न देगा कोई भी
और न दुनियादारी कर

क्या लाया था जो उदास है
मनअपना मत भारी कर

हम सब उसके बंदे हैं 
गंदे काम न जारी कर

सब के काम बनाता चल
अपनी जिम्मेदारी कर

चुकता सबका करता जा
कुछ भी नहीं उधारी कर

कृष्ण कह गए गीता में 
काम से मत गद्दारी कर
              *
~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1कृष्ण विहार आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ प्र)
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ