ममता और नंदीग्राम
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणामों के चलते ममता बनर्जी ने 1200 वोटों से जीत हासिल की है। राज्य में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की लगातार तीसरी बार सरकार बनने जा रही है । उस नंदीग्राम से भी वे चुनाव जीतने के करीब दिख रही थीं, जहां से ममता ने शुभेंदु अधिकारी के साथ बामपंथी किले को ढहाने की लड़ाई शुरू की थी। समय का चक्र विपरीत दिशा में घूमा और शुभेंदु अधिकारी भाजपा के पाले में चले गये। इतना ही नहीं, नंदीग्राम से ही चुनाव लड़कर शुभेंदु ने ममता बनर्जी को चैलेन्ज भी किया। ममता बनर्जी को बंगाल की शेरनी यूं ही नहीं कहा जाता है। उन्होंने उन शुभेंदु अधिकारी की चुनौती को स्वीकार कर लिया, जिनका गढ़ नंदीग्राम माना जाता है। भाजपा के टिकट पर नंदीग्राम में तृणमूल के पूर्व विधायक शुभेंदु अधिकारी को मतगणना के शुरुआती दौर में बढत मिल रही थी और इसे राजनीति की अबूझ पहेली बताया जा रहा था। नंदीग्राम की लड़ाई एक चुनौती बन गयी। भाजपा नंदीग्राम में समग्र जीत हासिल नहीं कर पायी है। निश्चित ही शुभेंदु अपनी पुरानी पार्टी को राजनीतिक जवाब नहीं दे पाए। बंगाल में सबकी निगाहें नंदीग्राम सीट पर लगी
थीं। तृणमूल कांग्रेस की सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे पूर्व मंत्री शुभेंदु के लिए यह लड़ाई बहुत व्यक्तिगत भी थी। राज्य की सबसे मुख्य सीट नंदीग्राम को माना जा रहा था। यहां बीते साल टीएमसी का दामन छुड़ा बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मैदान में उतरे। खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग के मुताबिक, ममता बनर्जी अपने प्रतिद्वन्द्वी शुभेन्दु अधिकारी से 2700 मतों से आगे चल रही थीं जबकि दोपहर 12 बजे की मतगणना तक 15 हजार 623 मतों के साथ शुभेंदु अधिकारी आगे चल रहे थे।
पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही 19 दिसंबर को शुभेंदु अधिकारी ने मिदनापुर में भाजपा के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हाथ से पद्म ध्वज ग्रहण किया था। भगवा ध्वज लेने के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर भरोसा करना शुरू कर दिया था। उसी दिन अमित शाह कोलकाता और न्यूटाउन के होटलों में वोटिंग योजना को लेकर संगठनात्मक बैठक में शामिल हुए। चाहे वह कोलकाता हो या दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिगेड रैली की तैयारी हो या जेपी नड्डा के निवास पर महत्घ्वूपर्ण चर्चा, उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए शुभेन्दु को भी महत्वपूर्ण स्थान मिला। यहां तक कि उन्हें चुनावी प्रचार में भी सबसे महत्वपूर्ण चेहरों में से एक के रूप में भी इस्तेमाल किया गया। उन्हें इस अभियान में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के चेहरे के रूप में चित्रित किया गया है, इसलिए उन्हें भाजपा के राज्य या केंद्रीय नेतृत्व से बहुत उम्मीदें थीं।केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि उनके समर्थकों को भी उनसे काफी उम्मीदें थीं। उनके समर्थक शुभेन्दु को बंगाली राजनीति में श्दादाश् कहते हैं। यानि इस चुनाव में बड़े पैमाने पर उनके समर्थक उनका राजनीतिक भविष्य देख रहे थे। सच तो यह है कि जो लोग शुभेन्दु का हाथ पकड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, वे भी नंदीग्राम के साथ राज्य के चुनाव नतीजों का इंतजार कर रहे थे। हालांकि शुभेन्दु ने कभी कुछ नहीं कहा है, लेकिन उनके समर्थकों के बीच चर्चा गर्म थी कि जीत होने पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा शुभेन्दु अधिकारी को ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इस श्बंगाल के बेटेश् को लेकर काफी कयास लग रहे थे। शुभेन्दु के कई समर्थक भी दादा मुख्यमंत्री की मांग कर रहे थे। कयास था कि अगर वह नंदीग्राम में जीतते हैं, तो उन्हें राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराने का बड़ा इनाम मिलेगा। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव 2021के परिणामों के इन पंक्तियों के लिखे जाने तक रुझान इस ओर संकेत दे रहे थे कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी ) की सत्ता बनी रहेगी और भाजपा की सीटें बढ़ने के बावजूद वह 100 के पार नहीं जा सकी। रुझानों के आने के बाद सोशल मीडिया पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर खूब ट्रेंड कर रहे थे।
दरअसल, भाजपा के संदर्भ में टीएमसी रणनीतिकार ने कहा था श्बीजेपी राज्य में बड़ी शक्ति है लेकिन भाजपा 100 सीट के पार नहीं जाएगी और तृणमूल जीत दर्ज करेगी। प्रशांत किशोर ने यहां तक कहा था कि श्बीजेपी अगर डबल डिजिट पार हो जाए तो वह ट्विटर छोड़ देंगे। चुनावी रणनीतिकार ने दावा किया था लोगों में ममता के खिलाफ असंतोष नहीं है। वह अब भी बंगाल की लोकप्रिय नेता हैं और जो भी बंगाल को समझता है वह जरूर बताएगा कि टीएमसी और ममता के लिए महिलाएं बड़ी संख्या में वोट दे रही हैं। मैंने अपने 8-10 साल के अनुभव में किसी महिला नेता को इतना लोकप्रिय नहीं देखा। मेरा मानना है कि ममता बनर्जी बड़े अंतर से जीत रही हैं। उनका अनुमान सही होता दिख रहा है। ताजा रुझानों में टीएमसी जहां 200 के पार जाती दिख रही है वहीं भाजपा 80-90 के बीच में है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक टीएमसी 203 और बीजेपी 84 पर आगे थी, वहीं कांग्रेस और उसके साथी 2 सीटों पर आगे थे। ऐसे में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दावा सही होता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट पर भी अब ममता बनर्जी आगे हो गई हैं। शुरुआती राउंड में यहां से बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी आगे चल रहे थे, जबकि अब ममता 2700 वोटों से आगे चल रही हैं। दोपहर बारह बजे से पहले तक नंदीग्राम सीट पर बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी 7262 वोटों से आगे चल रहे थे और मतगणना के 6 राउंड के बाद भी ममता बनर्जी पीछे चल रही थीं। राजाय की एक अन्य चर्चित चुचूड़ा सीट से बीजेपी की लॉकेट चटर्जी भी पांच राउंड की गिनती के बाद पीछे चल रही थीं। इस प्रकार पश्चिम बंगाल के चुनावी दंगल में तृणमूल कांग्रेस एक बार फिर बाजी मारती हुई दिख रही है। ममता बनर्जी की पार्टी ने 200 का आंकड़ा पार कर लिया है,जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है। साफ है कि ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं और राजनीति में अहंकार की एकबार फिर पराजय हुई है। भाजपा के नेता राज्य की मुख्यमंत्री और एक महिला को जिस तरह से चुनाव सभाओं में संबोधित कर रहे थे, पश्चिम बंगाल की महिलाओं को शायद वो संबोधन अपमानजनक लगा है। कोरोना जैसी महामारी ने बड़े बड़ों का गर्व चूर कर दिया है।
अगले पल की खबर नहीं रहती लेकिन हमारे राजनेता अब भी अपने स्वार्थ से आगे नहीं बढ पाये हैं। कोरोना संक्रमण बढने का एक कारण चुनावी रैलियां भी रही हैं। सुप्रीमकोर्ट ने इसके लिए चुनाव आयोग को फटकार भी लगायी है। चुनाव आयोग ने कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार बता दिया लेकिन अब चुनाव नतीजों के बाद कुछ जिम्मेदारों को यह एहसास जरूर हो रहा होगा कि उन्होंने क्या खोया और क्या पाया? (हिफी)
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