मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों के संबंध में पत्रकारों से की बातचीत
मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में आयोजित पे्रस वार्ता में पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रष्नों का जवाब देते हुये मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने कहा कि आज पुनः हमलोगों ने कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को लेकर चर्चा की है और कल आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने सभी मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग भी की थी। उसके पहले वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों के साथ भी चर्चा की गयी थी। देश के कई राज्यों के साथ-साथ बिहार में भी कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रतिदिन अधिक से अधिक लोगों की टेस्टिंग एवं वैक्सीनेशन किया जा रहा है। अभी प्रतिदिन एक लाख जांच की स्थिति में हमलोग पहुँच रहे हैं। ऐसी स्थिति में बाहर रहने वाले लोगों को वापस बिहार आने की इच्छा स्वाभाविक है, जिसे ध्यान में रखते हुए पूरी तैयारी हो रही है ताकि संक्रमण के प्रभाव को फैलने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के प्रति हम सभी को सजग रहना है। महाराष्ट्र से आने वाले लोगों को सभी ठहराव वाले जगहों के रेलवे स्टेशनों पर ही जांच किया जा रहा है। जांच में पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों को आइसोलेशन में रखने के लिए पूरी व्यवस्था की गयी है। आज महाराष्ट्र से आये एक ट्रेन से 17 लोग पॉजिटिव पाए गये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच विशेष टीकाकरण अभियान चलाकर 45 वर्ष और उससे ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन किया जाएगा। 11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिराव फुले और 14 अप्रैल को बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती है। इस विशेष टीकाकरण अभियान में चार लाख टीकाकरण किया जाएगा। इसके अलावा पूरे बिहार में लोगों को प्रेरित कर टीकाकरण का काम तेजी से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टीका लेने वाले लोग यदि कोरोना संक्रमित हो जाते है तो उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचता है। उन्होंने कहा कि आज आपदा प्रबंधन समूह की बैठक में स्कूल, कॉलेज एवं कोचिंग संस्थानों को 18 अप्रैल तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। कल आदरणीय प्रधानमंत्री जी के साथ हुई बैठक में कोरोना संक्रमण के बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर महामहिम राज्यपाल के स्तर से सर्वदलीय बैठक बुलाने का भी तय हुआ है। इसको लेकर महामहिम राज्यपाल से हमारी बातचीत हो चुकी है और अगले आठ-दस दिनों के अंदर बैठक होगी, जिसमे संक्रमण के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सभी के सलाह एवं सुझाव लिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामूहिक रूप से घुमने एवं एकत्रित होने पर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है जिसको ध्यान में रखते हुए 30 अप्रैल तक शाम सात बजे के बाद दुकानों और प्रतिष्ठानों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। चार दिन बाद पुनः कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले सभी लोगों की टेस्टिंग होगी और रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर उनके ट्रीटमेंट की पूरी तैयारी की गयी है। यदि रिपोर्ट निगेटिव आता है तो भी उन्हें कुछ दिनों तक घर में ही रहने की सलाह दी जायेगी। पिछले वर्ष लॉकडाउन के कारण कई प्रान्तों में बिहार के लोग फंसे हुए थे और बाहर से 22 लाख लोग बिहार आये थे। इनमे से 15 लाख लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिनों तक रखा गया और इसमें प्रतिव्यक्ति 5,300 रुपये खर्च हुये। इस बार अभी लॉकडाउन की स्थिति नहीं है। बाहर से आने वाले लोगों के लिए अनुमण्डल स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में अन्य राज्यों की तुलना में कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम है। बच्चे-बच्चियों के स्वास्थ्य एवं उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐहतियात के तौर 18 अप्रैल तक स्कूल-कॉलेज को बंद रखने का निर्णय लिया गया है ताकि एक जगह पर भीड़ एकत्रित न हो। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के खतरों को टालने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर निजी एवं सरकारी कार्यक्रमों से परहेज किया जाएगा। इसके लिए सर्वदलीय बैठक कर राय ली जायेगी। हम चाहेंगे कि जल्द से जल्द सर्वदलीय मीटिंग हो। हमने कहा है कि 70 प्रतिशत तक आर0टी0पी0सी0आर0 जांच करें। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक आर0टी0पी0सी0आर0 जांच हो। उन्होंने कहा कि कल आदरणीय प्रधानमन्त्री जी से मीटिंग हुई थी और इस बार लॉकडाउन जैसी बात फिलहाल नहीं है। कोरोना संक्रमण के मामले में पिछले वर्ष से अनुभव काफी हो गया है और लोग पूरी तरह से सजग हैं। बिहार में पहले कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या घटकर 250 पर पहुँच गयी थी, जिसके कारण जांच की गति भी काफी धीमी हो गयी थी। उसके बाद हमने मीटिंग बुलाकर जांच की संख्या बढाने का निर्देश दिया और अब प्रतिदिन एक लाख जांच किये जाने का फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन में जो लोग बिहार आये थे, उनके रोजगार के लिए काफी काम किये गये और बहुत लोग यही रह गये। उन्होंने कहा कि जो लोग भी यहाँ रहकर काम करना चाहेंगे, उन्हें राज्य सरकार मदद करेगी। नई नीतियों में भी इसे शामिल किया गया है। कुछ लोगों को बाहर जाकर नौकरी करने की इच्छा होती है, इसमें कोई रुकावट नहीं है। उन्होंने कहा कि 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन किये जाने की मांग हो रही है। केंद्र सरकार का जो गाइडलाइन है, उसका पालन हमलोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के प्रति सभी लोगों को जागृत करने के लिए जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को कहा गया है। मास्क का उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, वैक्सीनेशन एवं टेस्टिंग हेतु लोगों को प्रेरित करने के लिए हर स्तर पर काम किये जा रहे हैं। इस काम में जीविका समूहों को भी लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका है। शुरू से ही कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति की जानकारी प्रतिदिन शाम में आठ बजे के बाद हमें उपलब्ध हो जाती है और उसके आधार पर आंकलन कर निर्णय लिये जाते हैं। पिछली बार बाहर से वापस बिहार आने वाले 21 लाख लोगों के खाते में प्रतिव्यक्ति एक हजार रूपये की सहायता राशि उपलब्ध कराई गयी थी। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए पहले से सिस्टम बना हुआ है आवश्यकतानुरूप उनका उपयोग किया जाएगा। पत्रकार बंधुओं को स्वाभाविक तौर पर हर जगह जाना पड़ता है इसलिए उनका टीकाकरण फ्रंटलाइन वर्कर या अन्य किसी भी रूप में होना चाहिए, हम इसके पक्ष में हैं।
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