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आप कैमरे की नजर में हैं

आप कैमरे की नजर में हैं

आप कैमरे की नजर में हैं

आप कैमरे की नजर में हैं तब से ,

जब से आपने होश संभाला
वह दिखाई नहीं देता
नंगी आँखों से ता उम्र
क्योंकि वह दीवारों पर नहीं
अंतर्निहित है ,शाश्वत है सब में
जब किसी गहरी मानसिक या शरीरिक पीड़ा से
गुजरता है कोई
तब एक दिन उसके हृदय पटल पर
उभरती हैं उस कैमरे की वो तस्वीरें
जिसमें दिखाई देती है उसके
अमानवीय कृत्यों की झलक
जो कहती है मौन भाषा में--
यदि मनुष्य किसी भी अवस्था में
न छोड़े जीवन मूल्यों का साथ
तो दीवारों पर लगे कैमरों का अस्तित्व
हो जायेगा समाप्त
वह जियेगा होकर निर्भय
पंच महाभूतों के साथ ।
-- वेद प्रकाश तिवारी
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