देश भर से जुड़े 'शब्दाक्षर के कलमकारों' को आने का अवसर उपलब्ध कराया जाता

 देश भर से जुड़े 'शब्दाक्षर के कलमकारों' को  आने का अवसर उपलब्ध कराया जाता

 "शब्दाक्षर" संस्था एक साहित्यिक संस्था है । इसका मुख्यालय कोलकाता है । इस संस्था का गठन सन् 2010 में कोलकाता में किया गया ।  इसके संस्थापक अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह व उनके सहयोगियों की सक्रियता से, आज संस्था का विस्तार 24 राज्यों में हो चुका हैं ।.....दो अन्य राज्यों में राज्य समिति के गठन की प्रक्रिया प्रगति पर है । कोरोना काल में सभी संस्थाओं को अपनी गतिविधियां का संचालन सोशल मीडिया से ही करना पड़ रहा है । फलस्वरूप 'शब्दाक्षर संस्था' को भी अपने कार्यक्रम की गतिविधियाँ फेसबुक और वाट्सअप पर संचालित करनी पड़ रहीं है ।  शब्दाक्षर में देश-विदेश के कई जाने माने कवि-लेखक जुड़े हैं । "शब्दाक्षर केंद्रीय" वाट्सअप ग्रुप में, डॉ.उदय प्रताप सिंह, डॉ.कुँवर बेचैन, डॉ.सोम ठाकुर, डॉ.शिवओम अम्बर, डॉ.बुद्धिनाथ मिश्रा, डॉ.दीक्षित दनकौरी, डॉ.अशोक रावत, डॉ.कीर्ति काले,डॉ.चिराग जैन,मनवीर 'मन', चौधरी मदन मोहन समर, बोधिसत्व, डॉ.ओमपाल सिंह 'निडर', धर्मेन्द्र सोलंकी, कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, वाहिद अली वाहिद, श्यामल मजूमदार, पंकज अभिराज, महावीर सिंह 'वीर', गीता पंडित, अशोक अंजुम, किरण सिंह, आशा पांडे ओझा, बृजेश सिंह 'बिलासपुरी', चाँद शेरी, सुरेश नीरव, गीरेंद्र सिंह भदौरिया 'प्राण', माहेश्वर तिवारी, रामेन्द्र त्रिपाठी, ओम नीरव, राहुल शिवाय, सत्येंद्र रघुवंशी, राज कुमार रंजन, सुरेश फक्कड़, डॉ.राहुल अवस्थी, अनिरुद्ध सिन्हा, देवेन्द्र देवन, दिनेश पाठक, कविता विकास, बृजेश भट्ट, योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन, जय कुमार 'रुसवा,' डॉ.राजीव रावत, डॉ.विनय भदौरिया,जैसे अन्य और भी कई विश्व विख्यात कवि-लेखक पटल पर पठन-पाठन में सक्रिय हैं । पश्चिम बंगाल के संस्थागत साहित्यकार यथा, 'कुमार सभा' के डॉ.प्रेम शंकर त्रिपाठी, महाबीर बजाज, बंशीधर शर्मा, 'परिवार मिलन' से डॉ.दुर्गा व्यास, राजेन्द्र कानूनगो, 'आर्य समाज' से योगेशराज उपाध्याय,'भारतीय संस्कृति संसद' से विद्या भंडारी, विजय झुनझुनवाला,डॉ.तारा दूगड़, 'छपते छपते' व 'ताज़ा टी.वी' से बिश्वम्भर नेवर, 'रचनाकार' से, सुरेश चौधरी, 'भारतीय भाषा परिषद' से प्रो.संजय जायसवाल, 'बैसवारा समाज' से तारक दत्त सिंह,वीरेंद्र त्रिवेदी, अरुण किशोर मिश्रा, अश्विनी मिश्रा, 'कान्यकुब्ज समाज' से दया शंकर मिश्रा, 'उत्तरप्रदेश देशवारी समाज' से  तारक नाथ त्रिवेदी, राजेन्द्र द्विवेदी आदि साहित्यानुरागी समूह में शामिल हैं । बंगाल के अन्य हिंदी सेवियों में,प्रो.राजश्री शुक्ला, प्रो.शुभ्रा उपाध्याय, 'नाट्य जगत से उमा झुनझुनवाला, जीतेन्द्र सिंह, रावेल पुष्प और 'पत्रकारिता जगत' से सर्वश्री कौशल किशोर त्रिवेदी, डॉ.अभिज्ञात, ओम प्रकाश मिश्रा,मान्धाता सिंह,निर्भय देव्यांस प्रकाश चण्डालिया,संदीप त्रिपाठी,जगदीश यादव, संजय बिन्नानी,शकुन त्रिवेदी, तथा राजेश त्रिपाठी, शब्दाक्षर को शोभायमान कर रहे हैं । सम्पूर्ण पश्चिम बंगाल का तो, शायद ही ऐसा कोई स्थापित  कलमकार होगा,जो 'शब्दाक्षर' से न जुड़ा हो । इन सभी रचनाधर्मियों  के सहयोग से ही 'शब्दाक्षर परिवार'
अपने लक्ष्य की ऊँचाइयों को स्पर्श करने की ओर अग्रसर है ।...संस्था का उद्देश्य महज सोशल मीडिया तक सीमित रहना नहीं है ।...कोरोनाकाल बीत जाने के बाद, पूर्व की ही भाँति, जहाँ-जहाँ,जिस प्रदेश और उनके जिलों में 'शब्दाक्षर की समितियाँ होंगी, वहाँ जमीनी कार्यक्रम होंगे, जिसके अंतर्गत, मासिक काव्य-गोष्ठियाँ , सम्मान समारोह, पुस्तक लोकार्पण, कवि सम्मेलन साहित्यिक सेमिनार, इत्यादि का आयोजन सुनिश्चित किया जाएगा । रात 8 बजे, 'शब्दाक्षर पेज' पर, 'फेसबुक लाइव' कार्यक्रम सप्ताह पर्यन्त, नित्य  देश भर की शब्दाक्षर इकाइयों द्वारा आयोजित किये जाते है, जिसमे देश भर से जुड़े 'शब्दाक्षर के कलमकारों' को ही,लाइव आने का अवसर उपलब्ध कराया जाता है । लाइव कार्यक्रम के पात्र वही रचनाकार होते हैं, जो या तो, शब्दाक्षर वाट्सअप ग्रुपों के, या फिर 'शब्दाक्षर फेसबुक ग्रुप' के सदस्य होते है । अभी तक जिन साहित्यिक विभूतियों का जिक्र ऊपर किया गया है । उनमें से अधिकांश ने शब्दाक्षर पर लाइव आकर काव्य-पाठ किया है, एवं साक्षात्कार दिया है । शब्दाक्षर के सभी लाइव कार्यक्रम के वीडियो 'शब्दाक्षर के यूट्यूब चैनल' में सुरक्षित कर लिए गए हैं / कर लिए जाते हैं । यह प्रक्रिया सतत अनवरत चलती रहती है । शब्दाक्षर समूहों में, कार्यशालाएँ व स्वतंत्र लेखन-पठन निरन्तर जारी रहता है ।......अब इंतज़ार है, कोरोना काल बीत जाने का । जिससे "शब्दाक्षर" फिर से ज़मीन पर उतर कर साहित्य सेवा कर सके !!....फ़िलहाल तो ऑनलाइन सेवा जारी है !!.....

दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ