स्वार्थी तत्वों ने भगवान को भी नहीं छोड़ा |

स्वार्थी तत्वों ने भगवान को भी नहीं छोड़ा |

पटना सिटी के केशव राय घाट, फुलौड़ी गली स्थित इसी प्राचीन शिव मंदिर की संपत्ति को इसके सेवायत के वंशजों ने अवैध रूप से बेच दिया है जिस पर आज विशाल इमारतें बनी हुई हैं। इस प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास जानना रोचक होगा और यह जरूरी भी है क्योंकि इस मंदिर का महत्व बैकटपुर गांव स्थित श्री गौरीशंकर बैकुंठधाम मंदिर से कम नहीं है।  
१८वीं शताब्दी का यह प्राचीन शिव मंदिर केशव राय घाट फुलौड़ी गली, चौक, पटना सिटी के वार्ड सं०२६-३२-५१-६६ के सर्किल नं०१४३ के प्लाट सं०३३५ में स्थित है। म्यूनिस्पल सर्वे से पूर्व यह एक ही प्लाट ३३५ था। इसी प्लाट के अन्दर यह शिव मंदिर खंडहर के रूप में था। मंदिर की सेवा श्री गोसाई जी महाराज करते थे। 
१८५७ के गदर के बाद इस मंदिर के जीर्णोद्धार एवं नवनिर्माण हेतु शहर के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति और शिव भक्त बाबू जगन्नाथ चौधरी को मंदिर का सेवायत नियुक्त कर श्री गोसाई जी महाराज तपस्या के लिए अन्यत्र चले गये। 
 बाबू जगन्नाथ चौधरी ने इस मंदिर को भव्य बनवाकर इसमें पूजा-पाठ एवं अन्य खर्चों की व्यवस्था के लिए पूर्व की योजना को आगे बढ़ाते हुए कुछ रिहायशी मकानों के साथ दुकानों का निर्माण भी कराया, जिसे गोसाई कटरा के नाम से जाना गया। 
बाबू जगन्नाथ चौधरी ने एक रजिस्टर्ड वसीयत (५-३-१९०३) द्वारा यह घोषित किया कि इस मंदिर की देख-रेख मेरी दोनों बेटियां और उसके बाद में उनके वंशज करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी लिखा कि वे सिर्फ सेवायत होंगे मालिक नहीं। ज्ञात हो कि बाबू जगन्नाथ चौधरी कोई लड़का नहीं था। उनके निधन के बाद जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में प्रोबेट हुआ। 
कालान्तर में बाबू जगन्नाथ चौधरी के वसीयत का उल्लंघन करते हुए उनकी बेटियों के वारिसों ने अवैध रूप से कानूनी अधिकार के बिना ही मंदिर की जमीन हेम नारायण झुनझुनवाला वल्द लक्ष्मी नारायण झुनझुनवाला व अन्य को बेच दी। बाद में सरकारी सर्वे में उपयुक्त प्लाट सं० ३३५ को ३३३, ३३४, ३३५ के रूप में दर्शाया गया। लेकिन मंदिर के लिए अलग से व्यवस्था नहीं कर यह पूर्व की भांति प्लाट के अन्तर्गत ही रहा।  
जमीन खरीदने वालों ने मंदिर को घेरकर बन्द कर दिया। आम लोगों को भगवान की पूजा अर्चना व दर्शन से वंचित कर दिया। मंदिर के ऊपर लगा सोने का वजनी गुबंद तोड़ कर मंदिर को गुबंदविहीन कर दिया। गुंबद के सोने को बेच दिया गया। 
मंदिर की जमीन पर भव्य जनता होटल, भगवती लक्ष्मी बाजार बनाया गया और ऊपर के तल्ले को हेम प्लाजा नाम दिया गया। अवैध रूप से बने इस मार्केट के मालिक इससे दसों लाख रुपयों महीनों का लाभ ऊठा रहे हैं। 
शिव मंदिर बाबू जगन्नाथ चौधरी के नाती स्व०रामचन्द्र जायसवाल के घर के प्रांगण में सिमट कर रह गया। वे इसे निजी मंदिर के सेवायत की हैसियत से अपना हक जमाये बैठे हैं। 
ज्ञात हो कि इस मंदिर प्लाट के ही हिस्से में सनातन धर्म सभा भवन परिसर भी है, जिसे बाबू जगन्नाथ चौधरी की बेटी सुहागो कुंवर ने दान में दिया था। 
काफी सालों के बाद पिछले दिनों मंदिर पर एक छोटा गुबंद लगाया गया और उसका रंग -रोगन भी हुआ। लेकिन इसे आम जनता के दर्शनार्थ नहीं खोला गया। मंदिर तो है लेकिन मंदिर में शिवजी विराजमान है या नहीं यह आम जनता को नहीं मालूम। 
पटना जिला सुधार समिति, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद से यह मांग करती है कि शिव मंदिर, फुलौड़ी गंज की जब सुनवाई हो चुकी है तो निर्णय आदेश जल्द निर्गत कर मंदिर को सार्वजनिक करते हुए जनता के दर्शनार्थ खोला जाय। साथ ही इसकी बेची गयी जमीन का उपयोग जनहित में करते हुए देश में बन रहे शिव सर्किट से इस मंदिर को भी जोड़ा जाय। 
 इस अति प्राचीन मंदिर का तभी उद्धार होगा। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग से यह अनुरोध है कि वे इस मंदिर एवं इसमें स्थापित मूर्ति की जांच कर इसका काल तय कर उसे सार्वजनिक करें।
इस लड़ाई को लड़नेवाले समाजसेवी है श्री राकेश कपूर जी 
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