किसान हमारा वैज्ञानिक और खेत उसकी प्रयोगशाला: डाॅ. मोहन भागवत
मुजफ्फरपुर, 14 फरवरी। भारत का किसान वैज्ञानिक है और खेत उसकी प्रयोगशाला। पिछले दस हजार वर्षों से यहां खेती की परंपरा रही है। दुनिया में सबसे प्रभावी कृषि भारत की ही थी। जिन देशों ने खेती के क्षेत्र में बाद में कदम रखा, खेतों की अंधाधुन उत्पादकता बढ़ाई; वहां आज कृषि के क्षेत्र में काफी बुरा अनुभव देखने को मिल रहा है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प. पू. सरसंघचालक माननीय डाॅ. मोहन भागवत ने मुजफ्फरपुर के औराई स्थित जैविक खेती के प्रकल्प को देखने के बाद व्यक्त की।
आज प.पू. सरसंघचालक जी ने दो कार्यक्रमों ने हिस्सा लिया। सुबह वे औराई स्थित गोपाल शाही के जैविक कृषि प्रकल्प को देखने गये थे। वहां उन्होंने अपना उद्बोधन भी दिया। दोपहर के बाद शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास समिति द्वारा निर्मित मधुकर निकेतन का उद्घाटन किया। मुजफ्फरपुर के कलमबाग चैक के समीप बने इस भवन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि यह भवन भारतीय परंपरा के अनुरूप है, सुंदर है, परंतु भड़कीला नहीं। आगामी 20 वर्षों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर इसे निर्मित किया गया है। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि सबके प्रति सेवा के लिए तत्पर रहें। भारतीय परंपरा में अपने समाज के लिए काम करने की बात कही जाती है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि भारत अनादिकाल से विश्व का ज्ञान देता रहा है। भविष्य में भी यह विश्व को ज्ञान देगा। समन्वयक जीवन जीने की पद्धति भारत की देन है। प्रेम और धर्म के साथ अपना पोषण करने की कला भारत दुनिया को सिखलाता रहा है। उन्होंने इस अवसर पर ‘शताब्दी से सहस्राब्दी तक’ पुस्तक का विमोचन भी किया। भवन के निर्माण में तकनीकी सहयोग देने वाले लोगों को सम्मानित भी किया।
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