मन में ललक और संघर्ष हो तो मंजिल मिलती ही है: रेणु देवी, उप मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री ने पद्मश्री दुलारी देवी को किया सम्मानित और कहा आपकी मेहनत और मुकाम से बिहार की महिलाओं को मिलेगी प्रेरणा
कहते हैं कि जहां चाह है वहीं राह है। जन्म से कोई महान नहीं बनता है महान बनता है तो वह उसके कर्म से। इसलिए हमारा सबसे बड़ा धर्म है कर्म करना और कर्म में जब हमारे सपने और ललक जुड़ जाते हैं तो उसकी पहचान फिर पूरी दुनिया में फैल जाती है। आज बिहार के लिए बड़ा सौभाग्य का दिन है जब बिहार की माटी की पहचान कायम रखने वाले कलाकारों में से एक मिथिला पेंटिंग की दुलारी देवी जी को पद्मश्री से नवाजा गया है और हम उन्हें सम्मानित करने के लिए यहां जमा हुए हैं। बिहार की पहचान और मिट्टी ही ऐसी है जो कला और शिल्प के लिए विशेष रूप से समर्पित है। ऐसे में पद्मश्री दुलारी देवी का सम्मान पूरे बिहार का सम्मान है। यह बातें शनिवार को बिहार म्यूजियम सभागार में 2021 के लिए पद्मश्री से नवाजी गई मिथिला पेंटिंग की कलाकार दुलारी देवी के सम्मान समारोह में उपमुख्यमंत्री रेणु देवी बता रहीं थीं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए लगातार काम कर रही है। इसी क्रम में हमारी सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर और उद्यमिता की राह में आगे प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना की शुरूआत कर रही है जिसके तहत दस लाख रुपये दिए जाएंगे जिसमें से 5 लाख रुपये निःशुल्क और पांच लाख रुपये 84 किस्तों में बिना ब्याज के लौटाना होगा। 1 अप्रैल से शुरू होने वाली इस योजना से बिहार की महिलाओं का सही मायनों में सशक्तिकरण हो सकेगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की धरती वह स्थान है जहां गुरु बनने के लिए पूरी दुनिया से लोग आते थे। यही भगवान बुद्ध को ज्ञान मिला था, महावीर को निर्वाण मिला था वह पावन धरती हमारे लिए वंदनीय है। हम जब कोई काम दृढ़ इच्छाशक्ति से करते हैं तो हमारी संस्कृति और विरासत को नई पहचान मिलती है। हम जब सत्यमेव जयते कहते हैं तो कला व शिल्प में वह पूरी तरह दिखाई देती है। अंधकार से उजाले की ओर जब हम जाते हैं तब हमारी यही संकल्प शक्ति दिखाई देती है। आज इन महिलाओं का सम्मान उस अर्द्धनारीश्वर का सम्मान है जो समाज और देश को नई राह दिखाएगा। हम आज आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो सात निश्चय के माध्यम से उसे आगे भी बढ़ा रहे हैं। आज इसी क्रम में 19 फरवरी से 1 मार्च तक उड़ीसा में होने वाले शिल्प मेले में बिहार की महिला शिल्पकार जाकर पूरे देश और दुनिया में अपना और बिहार का नाम रौशन करेंगी।
कार्यक्रम में उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल ने कहा कि संघर्ष हमेशा बताता है कि आप जो चाहते हैं वह हासिल करते ही हैं। आज दुलारी देवी को पद्मश्री मिलना उन सभी संघर्ष करने वालों का सम्मान है जो लगातार जूझ रहे हैं और साथ ही यह हमारा और पूरे बिहार का सम्मान है। आज सरकार और उद्योग विभाग कला-शिल्प को प्रश्रय देने के लिए लगातार कार्यरत है। यह तो तय है कि किसी भी राज्य का विकास देखना हो तो वहां के उद्योग-धंधों से अधिक वहां के कला और शिल्प का काम देखिए। यदि कला और शिल्प समृद्ध है तो फिर राज्य का विकास आपको खुद ब खुद दिख जाएगा।
पद्मश्री श्याम शर्मा ने कहा कि कलाकार को सम्मान मिलना वाकई उसके मेहनत को पहचान देना है। दुलारी देवी जी ने बिहार के मान को देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया है। कलाकार कोई टाइमलेस आर्ट तभी पैदा कर सकता है जब उसका जीवन और कला एक हो जाता है। इनकी संघर्ष यात्रा ही उनकी कला यात्रा है। दुलारी देवी का जीवन महाकवि जयशंकर प्रसाद के इन पंक्तियों की परछाई है कि इस पथ का उद्देश्य नहीं है शांति भवन में टिके रहना, किन्तु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं है।
इस दौरान दुलारी देवी ने अपनी संघर्ष और कला यात्रा के बारे में मिथिला भाषा में ही सबको बताया। अपने संबोधन के क्रम में अपनी आपबीती सुनाते हुए दुलारी देवी ने कहा कि मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं न कभी स्कूल गई। मधुबनी में रांठीं गांव एक मछुआरा परिवार में जन्मीं मैं बचपन से ही कभी मछली पकड़ने तो कभी मां के साथ दूसरे के खेतों में काम करने जाती थी। कम उम्र में ही विवाह के बाद और कुछ समय के बाद अपने मायके लौटकर मैंने वहीं दूसरे के घरों में काम कर अपना जीवन-यापन करना शुरू किया। पद्मश्री दुलारी देवी अपनी कहानी सुनाते हुए भावुक हो उठीं। वह बतातीं हैं कि इस दौरान प्रख्यात कलाकार महासुंदरी देवी और कर्पूरी देवी के यहां मुझे झाड़ू-पोछा का काम मिला। वहीं मुझे पेंटिंग करने की प्रेरणा मिली। उन दिनों सामाजिक बंधनों और संकोच के कारण मैं कभी कह नहीं पाई। घर में जमीन को पानी से गीला कर लकड़ी के टुकड़ों से पेंटिंग बनाती थी। यह क्रम कई महीनों तक चला। फिर महासुंदरी देवी के सहयोग से मिथिला पेंटिंग के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला। इसके बाद तो संस्थान के निदेशक, अशोक कुमार सिन्हा का लगातार सहयोग और प्रेरणा मिलती रही। उनके समर्थन से मुझे राह मिलती गई और और धीरे-धीरे मेहनत और लगन ने यहां पहुंचा दिया।
इससे पहले सम्मान समारोह का शुभारंभ अतिथियों का स्वागत और दीप प्रज्वलन कर किया गया। अतिथियों का स्वागत करते हुए उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक, अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि पद्मश्री दुलारी देवी के सम्मान के साथ बिहार एक बार फिर गौरवान्वित हुआ है। पूरे भारत में मिथिला पेंटिंग एकमात्र ऐसी विधा है जिसमें अब तक सात कलाकारों को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के अलावा उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल, उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा, पद्मश्री प्रो. श्याम शर्मा, पद्मश्री श्रीमती बउआ देवी, बिहार म्यूजियम के निदेशक दीपक आनंद, पटना दूरदर्शन के निदेशक राजकुमार नाहर समेत कई कलाकार और अधिकारी गण भी मौजूद थे। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com




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