वर दे विणा वादिनी वर दे
मुक्तक,छन्द,दोहा,कवित से,
मेरी काव्य साधना सज दे,
लगे रहूँ नित जन हित में,
निर्भीकता,आत्मविश्वास भर दे,
वर दे विणा वादिनी वर दे.......
दूषित विचार भरे पड़े हैं जग में,
कलुषित विद्या समाज से तज दे,
बुद्धि प्रखर,शुद्ध आचरण भर दे,
क्रोध,मोह,लालच तृष्णा हर ले ,
वर दे विणा वादिनी वर दे.......
नव सृजन की आश मन में,
सब के प्रति समर्पण का भाव रहे,
निर्मल मन से सब का सेवा करूं,
भगा तिमिर नव विहान कर दे ।
वर दे विणा वादिनी वर दे.......
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