नया वर्ष फिर आया
नया वर्ष फिर आया मानिनी,
नया वर्ष फिर आया ।
नमन नमन में उमगी आशा,
कुमुद केतु फहराया ।
पल्लव दल की झीनी चोली,
रस मदमाती कोयल बोली,
खिले चांद पर उछल पुछल कर -
हृदय सिंधु लहराया ।
नया वर्ष फिर आया ।
खेतों में गेहूं की बाली ,
थिरक रही दे दे कर ताली,
मंजर दल के नए टिकोरों-
पर रितु पति भरमाया ।
नया वर्ष फिर आया ।
बालसखा संग सीटी पीटी ,
खेल रहे सब खेल कबड्डी ,
कोहवर घर के उच्च झरोखे -
से आंचल लहराया।
नया वर्ष फिर आया ।
कितनी बार अभी तक मिलकर ,
गाए गीत सलोने खिलकर ,
किंतु मानिनी तृप्ति सुधा से-
हृदय नहीं भर पाया ।
नया वर्ष फिर आया।
डॉ सच्चिदानंद 'प्रेमी'
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