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अकेला

अकेला .......

अकेला

एक शब्द
स्वयं मे अकेला|
हजारों कि भीड़ मे
एक अहसास
अकेले होने का
इंसान को अकेला कर देता है
समाज मे,स्वयं कि सोच मे|

कितना अजीब सा है
यह अहसास
अकेलेपन का ?

कभी सोचा है तुमने
किसी सुखी मनुष्य का बारे मे
क्या उसे सालता है अहसास
अकेलेपन का
अथवा यह है अनुभूति
केवल दुखी मनुष्य के साथ?

अकेलापन किसी कि बपौती नहीं
यह है मात्र अहसास
विचारों के साथ|

कभी कभी अच्छा लगता है
अकेलापन
किसी कि सुनहरी
यादों के साथ|

तन्हाई मे अकेले
बहुत लोग होते हैं
संग मे कुछ ख्वाब जुड़े होते हैं
पर
चंद लोग
जो भीड़ मे रहकर भी
अकेले होते हैं
यादों मे भी उनके संग कोई नहीं होते हैं
तब काटता है उन्हें
अकेलापन
और मुश्किल होता है
उनके लिए
अकेलेपन का अहसास|

शायद उनमे से ही कुछ लोग
चिन्तक बन जाते हैं
जब
अकेलेपन की
बंजर धरती पर
विचारों के फूल
खिल जाते हैं|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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