Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

बात-चीत से ढकते रहना

बात-चीत से ढकते रहना

सच कहने से  बचते रहना
बिना बात के हँसते रहना

छोड़ा कब है किसको तुमने 
काम तुम्हारा डसते रहना

मस्तक उठा  न पाए कोई 
एक-एक को  कसते रहना

मिले न भूंजी-भांग किसी को
तुम्ही अकेले छकते रहना

फटे हाल है हाल देश का
बात-चीत से ढकते रहना

आग लगाकर हमसे कहते
सोना मत तुम जगते रहना

रेंगा जुआ कान कब उनके  
'जय' जो चाहे कहते रहना
      .         *
~जयराम जय,
'पर्णिका'11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ