
आलू की फसलों के लिए भले ही घना कुहासा के बाद पाला संकट का सबब बन सकता है। लेकिन दूसरी ओर यही घना कोहरा गेहूं के फसलों के लिए लाभदायक साबित होगा। इस कारण मौसम के बदलते मिजाज से क्षेत्र के गेहूं उत्पादक किसान खुश हैं। वर्तमान परिस्थितियों में किसान अगर गेहूं के खेत में समय से सिंचाई, उर्वरक एवं खरपतवार प्रबंधन कर लें।तो इस वर्ष गेहूं की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञ चंदन कुमार के अनुसार गेहूं के फसलों की समय से सिंचाई एवं जल प्रबंधन कर बेहतर फसल का उत्पादन किया जा सकता है। किसानों को गेहूं के खेत में उपलब्ध सिंचाई प्रणाली एवं जल सुविधा के अनुसार क्यारियां बनाकर गेहूं में सिंचाई करनी चाहिए। आमतौर पर गेहूं के खेतों में तीन से चार सिंचाई की आवश्यकता होती है। गेहूं की फसलों में हमेशा हल्की सिंचाई लाभप्रद होता है।
इसके लिए प्रथम सिंचाई में औसतन 5 सेमी. तथा बाद की सिंचाईयों में 7.5 सेमी. पानी की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं खेत फसल में प्रथम सिंचाई क्राउन रूट निकलने के समय में या बुआई के 20 से 25 दिन पर करना चाहिये। दूसरी सिंचाई कल्ले या टिलर निकलने के समय में अर्थात बुआई के लगभग 40 से 50 दिन बाद करना लाभदायक होता है। गेहूं के फसल की तीसरी सिंचाई गाभा बनने के समय में अर्थात बुआई के लगभग 65 से 70 दिन बाद जबकि चौथी सिंचाई दानों में दूध भरते समय अर्थात बुआई के 90 से 100 दिन बाद करना बेहतर होता है।
गेहूं के फसल में खाद व उर्वरक का उपयोग
विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं फसल की प्रति इकाई पैदावार में बढ़ोतरी बहुत कुछ खाद एवं उर्वरक की मात्रा पर भी निर्भर करती है। गेहूं बुआई के समय उपयोग किये गए खाद एवं उर्वरक के अतिरिक्त प्रथम एवं द्वितीय सिंचाई के समय लगभग 65 किलोग्राम यूरिया का उपरिवेशन किसानों को अवश्य करना चाहिए।
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार
कृषि विशेषज्ञ ने की माने तो बथुआ,सैंजी, कृष्णनील, हिरनखुरी, चटरी—मटरी, जंगली गाजर आदि के नियंत्रण हेतु 2, 4-डी लवण 80 प्रतिशत की 625 ग्राम को 700-800 लीटर पानी मे घोलकर एक हेक्टर में बोनी के 25-30 दिन के अन्दर छिड़काव करना चाहिए। गेहूं की फसल में संकरी पत्ती वाले खरपतवार भी उगते आते हैं। गेहूँ के खेतों में जंगली जई व गेहूंसा का भी प्रकोप अधिक देखा जात है। इनके नियंत्रण के लिए पेन्डीमिथेलिन 30 ईसी (स्टाम्प) 800-1000 ग्रा. प्रति हेक्टर अथवा आइसोप्रोटयूरॉन 50 डब्लू.पी. 1.5 किग्रा. प्रति हेक्टेयर को बुआई के 2-3 दिन बाद 700-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करनी चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/barauni/news/dense-fog-will-be-beneficial-for-wheat-crop-irrigate-and-spray-urea-in-time-128047111.html
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com