" एहसास "

लेकिन गीता ने उस बादाम को निकाल कर ही दम लिया और कागज में लपेट डस्टबिन में फेंक दिया यह देख पुनः बेटे का स्वर गूंजा-
' बताओ क्या मतलब निकला इतनी मेहनत करने का अभी कामवाली बाई आती वह भी यही करती आप नाहक इतनी परेशान हुई '
स्पष्टीकरण में गीता ने कहा-
' बेटा ! यही तो मैं नहीं चाहती थी सोच कामवाली बाई को कचरे में यदि बादाम नजर आती तो उसके दिल पर क्या गुजरती '
उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है
मीरा जैन
516,साँईनाथ कालोनी .
सेठी नगर
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