
बिहार विधानसभा चुनाव के पहला आरो दोसर चरण खातिर अंगदेश के बिसात बिछ चुकलो छै। दस विधान सभा क्षेत्र वाला इ इलाका में लोजपा के फैक्टर साफ सूझभ करै छै। जदयू जहां-जहां से अप्पन उम्मीदवार खड़ा करलो छै उ सब जगह पर लोजपा उनकर हार के कारण बन सकै छै। इ इलाका में कांग्रेस के ढ़ेर भोट बैंक नय छै। लेकिन राजद के लालटेन लेके कांग्रेस इ इलाका में तीन सीट निकाल सकै छै। सभ्भे 10 सीट के बात करल जाव त महागठबंधन आरो एनडीए में आधा-आधा सीट के बढ़त होय जैतै। अंग के धरती पर मुकाबला रगड़ा वाला छै। जनता बतैतै कि केकरा भरदम भोट दय कै तगड़ा बनैतै।
पूरे दस सीटों की बात करें महागठबंधन और एनडीए में आधे -आधे पर सीटों पर बढ़त दिख रही है।
बीहपुर : जीत-हार के अंतर बहुत कम रहतै
भागलपुर जिले का यह विधानसभा क्षेत्र खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में आता है। यह सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र है। पिछले 20 सालों से इस सीट पर राजद का कब्जा है। राजद के बुलो मंडल पहले यहां से विधायक हुआ करते थे। जब वो भागलपुर से सांसद बने तो उनकी पत्नी वर्षा रानी वहां से विधायक बनीं । 2019 में चुनाव हारने के बाद इस बार फिर से बुलो मंडल को राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने एक बार फिर शैलेंद्र कुमार पर अपना विश्वास जताया है। बीहपुर के दंगल में मुकाबला आमने-सामने का है। इस बार चुनाव में बुलो मंडल की स्थिति ठीक तो है लेकिन भाजपा के शैलेंद्र कुमार उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जीत हार का अंतर काफी कम रहने वाला है।
गोपालपुर: दिलचस्प रहतै त्रिकोणीय मुकाबला
गोपालपुर विधानसभा पर 1957 से लेकर 1990 तक कांग्रेस और सीपीआई का कब्जा रहा है। 1990 में भाजपा ने एक बार जीत हासिल की थी। उसके बाद जदयू और राजद ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया। इस सीट पर मुकाबला दोनों ही दलों के बीच होता रहा है। इस बार फिर से वर्तमान विधायक नरेंद्र कुमार नीरज को जदयू ने अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं राजद से शैलेश कुमार हैं। इस मुकाबले को लोजपा से लड़ रहे सुरेश भगत दिलचस्प बना रहे हैं। इस त्रिकोणीय मुकाबले में नरेंद्र कुमार नीरज मजबूत नजर आ रहे हैं।
पीरपैंती (एससी): राजद के पलड़ा भारी छै
झारखंड के साहिबपुर और गोड्डा से सटा हुआ ये विधानसभा क्षेत्र कभी लेफ्ट का गढ़ हुआ करता था। लेकिन बाद के समय में भाजपा ने 2010 में जीत हासिल की , बाद में भाजपा को राजद ने हरा कर जीत हासिल की। लेकिन इस बार मुकाबला दिलचस्प नजर आ रहा है। राजद से रामविलास पासवान फिर से चुनावी मैदान में हैं। वही भाजपा से ललन पासवान एक बार फिर से अपनी किस्मत आजमा रहे है। अंगप्रदेश की एकमात्र सुरक्षित सीट को दिलचस्प बना रहे हैं भाजपा से पूर्व विधायक अमन पासवान जो इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। अमन कुमार भाजपा के संगठन से जुडे़ रहे हैं और ये वोट काटेंगे तो भाजपा के उम्मीदवार का ही। ऐसे में राजद के उम्मीदवार का पलड़ा भारी है।
कहलगांव: सदानंद सिंह के लाल मजबूत स्थिति मैं छै
कहलगांव मतलब सदानंद सिंह और सदानंद सिंह मतलब कहलगांव। कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह यहां से नौ बार विधायक रह चुके हैं। आठ बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय विधायक रहे हैं। इस बार सदानंद सिंह ने अपने पुत्र शुभानंद मुकेश को उतारा है। उनके सामने भाजपा के पवन यादव हैं। लेकिन भाजपा ने जिस समीकरण को लेकर पवन यादव को टिकट दिया है उसको साधते वो नजर नही आ रहे हैं। ऐसे में सदानंद सिंह के आधार का फायदा शुभानंद मुकेश को मिलना तय माना जा रहा है।
भागलपुर: कांग्रेस के रास्ता आसान छै
भाजपा के दिग्गज नेता अश्वनी कुमार चौबे ने कई वर्षों तक भागलपुर पर अपना कब्जा जमाये रखा। 2014 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से शाहनवाज हुसैन काफी कम वोट से हारे थे। अश्वनी चौबे को भागलपुर से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। 2015 में अश्वनी चौबे के पुत्र अर्जित चौबे को भाजपा से उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन कांग्रेस के अजीत शर्मा ने उनको मामूली अंतर से हरा दिया। उस समय भाजपा नेता विजय साह ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर भाजपा के समीकरण को खराब कर दिया था। इस बार भाजपा ने अपने उम्मीदवार को बदलते हुए रोहित पाण्डेय पर दांव खेला है। वहीं, कांग्रेस ने वर्तमान विधायक अजीत शर्मा को उतारा है। इसबार भी निर्दलीय के रूप में विजय साह ने अपना नामांकन कर दिया है तो लोजपा से भागलपुर के डिप्टी मेयर राजेश वर्मा हैं। विजय साह और राजेश वर्मा वैश्य समुदाय से आते हैं। ये दोनों यदि वैश्य समुदाय का वोट लाते हैं तो भाजपा के लिए भागलपुर जीतना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में कांग्रेस के अजीत शर्मा की राह आसान नजर आती है ।
सुल्तानगंज: भितरघात होवै के उम्मीद छै
उत्तरवाहिनी गंगा और बाबाधाम के लिए गंगा जल उठाने वाले पड़ाव की वजह से सुल्तानगंज प्रसिद्ध है। सुल्तानगंज भले भागलपुर जिला में हो लेकिन ये बांका लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। पिछले चार बार से इस सीट पर जदयू का कब्जा रहा है। इसबार जदयू ने अपने उम्मीदवार को बदलते हुए ललित नारायण मंडल को उतारा है। स्थानीय स्तर पर जदयू के लिए ये नया नाम है। ऐसे में भितरघात की उम्मीद है। कांग्रेस से ललन यादव है, जिनको भरोसा राजद के कैडर वोट का भी है। आरएलएसपी के हिमांशु पटेल और लोजपा की नीलम देवी जदयू के ललित मंडल की राह को मुश्किल कर रहे हैं। ऐसे में सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो ललन यादव की जीत का रास्ता साफ दिख रहा है।
नाथनगर: जदयू के जीतै के चांस ज्यादा छै
नाथनगर विधानसभा क्षेत्र में उच्चतर शिक्षण संस्थान हैं। यहां बिहार कृषि विवि सबौर, इंजीनियरिंग कॉलेज, ट्रिपल आईटी सहित कई संस्थान हैं। नाथनगर विधानसभा मुस्लिम, गंगौता और यादव बहुल क्षेत्र है। बिहार की दिग्गज नेत्री सुधा श्रीवास्तव यहां से पांच बार विधायक रही थीं। जदयू के अजय कुमार मंडल लगातार दो बार से यहां के विधायक रहे, बाद में सांसद बन गए। तो उनकी जगह पर लक्ष्मीकांत मंडल जदयू से जीते। इसबार भी लक्ष्मीकांत मंडल जदयू की तरफ से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। तो उनके सामने राजद से अली असरफ सिद्धकी चुनाव लड़ रहे हैं। नाथनगर के चुनाव में लोजपा से अमर कुशवाहा और बसपा से अशोक आलोक भी जदयू के प्रत्याशी की मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। वहीं भागलपुर सांसद अजय मंडल के छोटे भाई अनुज मंडल ने एनसीपी से पर्चा भरकर लक्ष्मीकांत मंडल के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। वैसे राजद से मजबूत उम्मीदवार नहीं होने की वजह से लक्ष्मीकांत मंडल के जीत जाने का चांस बन रहा है ।
तारापुर: मेवालाल चौधरी के मिल सकै छै मेवा
विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी पर जदयू ने एक बार फिर से विश्वास जताया है। वो पांच साल से यहां के विधायक हैं। इससे पहले उनकी पत्नी नीता चौधरी विधायक थीं। पिछले दिनों नीता चौधरी का निधन हो गया। मेवालाल चौधरी बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति थे। कुलपति रहते इनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे जिसमें ये फरार भी थे। इनके सामने महागठबंधन के राजद से दिव्या प्रकाश होगीं। दिव्या प्रकाश राजद के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव की पुत्री हैं। जयप्रकाश पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं जयप्रकाश यादव लालू प्रसाद के काफी करीबी नेता माने जाते हैं। इन दोनों की चुनावी लड़ाई में निर्दलीय उम्मीदवार राजेश मिश्रा फैक्टर बनकर उभर सकते हैं। वहीं, इस बार मेवालाल के समर्थन में शकुनी चौधरी का परिवार भी है। तो ऐसे में दिव्या प्रकाश के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी। और एक बार फिर से मेवालाल चौधरी सदन पहुंच सकते हैं।
मुंगेर: बदलाव के तरफ इशारा होय रहलो छै
मुंगेर विधानसभा सीट से राजद ने अपने विधायक विजय कुमार विजय का टिकट काट दिया है। तेजस्वी यादव ने मुंगेर से अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि एनडीए में यह सीट बीजेपी के कोटे में गई है और उसने यहां से फिर से प्रणव कुमार यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। रालोसपा के टिकट से मुंगेर की मेयर रूमा राज के पति सुबोध वर्मा भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगी। वही निर्दलीय कंचन गुप्ता भी मजबूत दिख रही हैं। फिर भी लड़ाई राजद और भाजपा के बीच में है। इसबार स्थानीय मुद्दों को लेकर बदलाव की तरफ लोग इशारा कर रहे हैं। तो ऐसे में भाजपा के प्रणव कुमार यादव का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
जमालपुर: जदयू के यहां हिलाना मुश्किल होतै
एशिया का पहला रेल इंजन कारखाना यहीं खुला। कारखाने का विकास यहां होना चाहिए था, उसके उलट मजदूर घटते चले गए। इस क्षेत्र का औद्योगिक विकास नहीं हो पाया। पर्यटन की बेहतर संभावना के बावजूद इसके लिए कुछ नहीं हुआ। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि पिछला विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा गया था। लेकिन इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है। कानून व्यवस्था की स्थिति भी सुधर नहीं पाई। लगातार तीन बार विधायक रहे शैलेश कुमार 2015 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू की तरफ से जीते थे। इस राजपूत बहुल इलाके में लोजपा के दुर्गेश सिंह जदयू का समीकरण खराब कर सकते हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से उतरे अजय सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं। सवर्ण के वोट को ये भी अपनी तरफ खींचेंगे। हालांकि इस इलाके में कोइरी-कुर्मी निर्णायक फैक्टर हैं। ऐसे में शैलेश कुमार मजबूत दिख रहे हैं।
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source https://www.bhaskar.com/bihar-election/news/chirag-paswan-ljp-party-harm-nitish-kumar-led-jdu-nda-alliances-mahagathbandhan-seats-will-be-divided-in-munger-bhagalpur-jamalpur-127853843.html
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