"कोविड19 के संदर्भ में न्यू नॉर्मल एवं मानसिक स्वास्थ्य" विषय पर वेबिनार का किया गया आयोजन


वेबिनार में अतिथि वक्ता के तौर पर शामिल पटना की जानी-मानी मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह ने कहा कि जब तक हम मानसिक रूप से परेशान रहेंगे, तब तक हम स्वस्थ नहीं हो सकते हैं। सकारात्मकता ही नकारात्मकता को खत्म कर सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड19 के दौर में अधिकांश लोग मानसिक परेशानी, तनाव, अवसाद आदि से गुजर रहे हैं। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में महिलाएं सबसे ज्यादा तनावग्रस्त हैं। बात चाहे गांवों की हो या फिर शहर की, घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। इससे बच्चें भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि परिवार के लोग महिलाओं को भावनात्मक रूप से सहयोग करें और महिलाएं भी कोविड-19 के दौरान अपने हुनर को निखारें। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग दिन में कम से कम एक घंटा व्यायाम और ध्यान किया करें। उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में मानसिक परेशानी से उबरने के लिए यह बेहद जरूरी है कि हमलोग अपने-अपने घरों में माहौल को खुशनुमा बनाएं, खुश रहें, एक दूसरे की सहायता करें, संतुलित भोजन करें और रात को सोने से पहले मोबाइल को दूर रख कर सोएं। उन्होंने कहा कि लोगों को कोविड-19 से जुड़ी खबरों को भी देखना बंद कर देना चाहिए ताकि उनमें नकारात्मकता घर न करे। उन्होंने कहा कि बुरा समय हर दिन एक जैसा नहीं रहता है हर रात के बाद दिन आता है।
सदर अस्पताल, छपरा के सिविल सर्जन डॉ मधेवेश्वर झा ने कहा कि कोविड-19 के दौर में बच्चे, नौजवान और बुजुर्ग सभी लोग चिंता, निराशा, उदासी, आदि से तनावग्रस्त हैं। बेहतर काउंसलिंग के द्वारा उनके मेंटल स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को हर हाल में सकारात्मक सोच रखने की कोशिश करनी चाहिए। लोगों को कोरोना से संबंधित खबरों से दूरी बना लेनी चाहिए। प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए और परिवार के साथ समय बिताते हुए खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
नेट्रो डैम एकेडमी, पटना के रसायनशास्त्र की शिक्षिका एवं शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा सीबीएसई सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित श्रीमती
आभा चौधरी ने कहा कि कोविड-19 के दौर में तनाव और अवसाद की वजह
से घरेलू हिंसा बहुत बढ़ गया है, जिससे बच्चे भी प्रभावित हो
रहे हैं। न्यू नॉर्मल में मॉल खोलने की अनुमति प्रदान कर दी गई है लेकिन स्कूल नहीं
खोला जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को खुल कर बात करनी चाहिए और चीजें साझा करनी
चाहिए। इससे निश्चित रूप से तनाव कम होगा। उन्होंने कहा कि सरकार कोविड-19 के दौरान दो सुझावों पर विचार कर सकती है- पहला,
उच्च शिक्षा को कुछ सीमाओं के साथ शुरू किया जाना चाहिए। दूसरा,
शहरों एवं खास कर गांवों में इंटरनेट सेवा को और इंटरनेट से जुड़ी दूसरे
उपकरणों को किफायती दरों पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुबह की शुरुआत
आध्यात्मिक गानों को सुनने और छोटी-छोटी चीजों को करने से किया
जाना चाहिए, जिसे आप सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। दूसरों की मदद
करने के लिए हमेशा तैयार रहें।
एमिटी यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान और व्यवहार विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डॉक्टर कामिनी ने कोविड19 के दौर में मेंटल स्ट्रेस पर विस्तार से चर्चा करते हुए कई सुझाव दिएं। उन्होंने कहा कि लोगों को एक-दूसरे से बात शुरू करनी होगी और आसपास के लोगों और परिवार के साथ चीजें शेयर करनी होंगी। उन्होंने कहा कि लोगों को खुद को ब्रेक देना होगा और उन्हें वह काम करने की आवश्यकता है, जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है। इससे लोगों के मानसिक तनाव को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही लोगों को अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए व्यायाम और योग-ध्यान जरूर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इसके बावजूद लोग मानसिक तनाव से गुजर रहे हों, तो उन्हें मदद मांगनी चाहिए और लोगों को भी चाहिए कि वे मदद के लिए आगे आएं। लोगों को न्यूज़ से भी ब्रेक लेना होगा। डेली रूटीन में सुधार करना होगा और प्रतिदिन छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने होंगे, जिसे करने में लोगों को खुशी मिलती हो। लोगों को क्वालिटी टाइम निकालना होगा और फैमिली के साथ मिलकर रहना होगा। इन सब तरीकों से लोगों में व्यवहार परिवर्तन आएगा और लोग मेंटल स्ट्रेस को कम कर पाने में सक्षम होंगे।
वेबिनार का संचालन एफओबी छपरा के क्षेत्रीय प्रचार सहायक सर्वजीत सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एफओबी, छपरा के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने किया। वेबीनार में रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय और निदेशक विजय कुमार; प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो, पटना के निदेशक दिनेश कुमार और सहायक निदेशक संजय कुमार; दूरदर्शन, पटना के सहायक निदेशक सलमान हैदर सहित विभिन्न एफओबी कार्यालयों के अधिकारी-कर्मचारी और छात्र-छात्राएं एवं आम श्रोता शामिल थें।
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