क्या करोगे (हिंदी ग़ज़ल)

क्या करोगे इरादे जानकर।
जा सो जा चादर तानकर।१।
यार हमसे बड़ी भूल हुई है,
बेफिक्र रहा अपना मानकर।२।
खुब दोस्ती निभाई है आपने,
साथ-साथ रहे कान छानकर।३।
अघा गये हम तो एकदम पुरा,
भाग गये तुम्हीं अपमान कर।४।
ये "मिश्रअणु"तो बेवफा है नहीं,
यूंही खोया रहता है गुमान कर।५।
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
वलिदाद अरवल (बिहार)
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