मेरे मन की बात :-अभी इतनी जल्दी क्या थी प्रधानमंत्री जी
डॉ अजित कुमार पाठक
आपने देश के ईमानदार कर दाताओ के लिए बहुत सी घोषणाएँ की ,मसलन पारदर्शी कराधान-ईमानदार कर दाताओं को सम्मान और सीमलेस पेनलेस और फियरलेस टैक्स प्रणाली को लागु करने और टैक्सपेयर्स चार्टर लागू करने की घोषणा की | देखने और सुनने में तो यह बहुत ही खुबसूरत और प्रभावकारी लगता है पर क्या आप जानते है की देखने और सुनने में काफी अच्छी लगने वाली सभी चीजें वास्तविक में उतनी अच्छी नही होती है | भारत विविधताओं वाला देश है | यहाँ सभी तरह के लोग रहते हैं यहाँ किसी तरह दो जून की रोटी कमाने वाला भी रहता है और करोड़ों रूपये प्रतिदिन कमाने वाला भी रहता है | यहाँ ऐसे भी शहर है जो पूरी तरह आधुनिक सुख सुविधाओं से लैस हैं और कुछ ऐसे भी शहर हैं जहाँ न सही ढंग से बिजली, पानी और सड़क भी नहीं है | देश में करोड़ो लोगों की आमदनी इतनी नहीं है कि वो आयकर की सीमा में आयें| करोड़ों को तो यह भी नहीं पता है की आयकर किस चिड़ियां का नाम है| .शिक्षा की स्थिति आपसे छिपी नहीं है, ऐसें में कम्पुटर शिक्षित की संख्या तो और भी काफी कम है ,जबकि सारा काम देश में कम्पुटर से ही होता है ऐसे विविधताओं वाले देश में बिना करदाताओं को शिक्षित किये या लोगों को बिना प्रशिक्षित किये बिना आपने कैसे समझ लिया की आपकी की हुई घोषणा सफलीभूत हो जाएगी | इसलिए आपको चाहिए था कि आप फेसलेस असेसमेंट को सारे देश में एक साथ लागू करने की जगह पहले की तरह बड़े बड़े महानगरों में लागू करते और वहां भी आप उस केस में करते जहाँ आयकर विभाग को यह लगता की करदाता ने काफी बड़ी मात्रा में कर की चोरी की है | छोटे करदाता का अगर फेसलेस असेसमेंट होगा तो वो अपनी बात सही ढंग से नहीं कह पायेगा और अपनी बात कहने के लिए अधिवक्ता या सी.ए को रखना पड़ेगा जिसकी फीस वह नहीं देने की स्थिति में नहीं होगा | असेसमेंट में भी सारे कागजातों को असेसमेंट ऑफिसर को अपलोड कर भेजने में भी बहुत बड़ी समस्या होगी | इन परेशानियों के लिए इस योजना को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू करना चाहिए था | अपील में तो अभी फेसलेस नहीं करना चाहिए था क्योंकि भाषाई समस्या के साथ साथ अन्य कई तरह की समस्या आयेगी |जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पायेगा फलस्वरूप संबंधित उच्च न्यायालयों में मुकदमों की बाढ़ आ जायेगी| जहाँ एक तरफ सरकार मुकदमों को कम करना चाहती है वहीँ बेवजह मुकदमों के बढ़ जाने से आयकर विभाग और करदाता दोनों की परेशानी का ग्राफ काफी उपर हो जायेगा| अगर असेसमेंट की फेसलेस प्रक्रिया को पुरे देश में सफलतापूर्वक लागु हो जाने के बाद अपील की फेसलेस प्रक्रिया लागु होती तो यह देश हित में अच्छा होता| लेकिन आप भी नौकरशाहों के चंगुल में आ गए हैं जो आपको वास्तविक जमीनी धरातल की बात नहीं बताता है| इसे लागु करने के पहले आप ने जनता से राय ली, अधिवक्ता, सी.ए, व्यापारियों आदि के संगठनो से सलाह मशविरा लिया| नहीं न, तो आपको इतनी जल्दी क्यों थी आपको? क्या आपको नहीं लगता है कि इसे लागू करने से पुरे देश में एक व्यापक उथल-पुथल नहीं हो जायेगी? सैकड़ों वर्षों की व्यवस्था को एक झटके में खत्म कर देने से आपको राजनैतिक फ़ायदा तो मिल जायेगा लेकिन आम करदाताओं को जब परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तो उसकी आह आपको लग जायेगी| अभी भी समय है, आप आपने फैसले पर फिर से विचार करें| अगर आपको इमानदार करदाताओं की इतनी ही फिक्र है आपको तो उन्हें सत्तर वर्ष के बाद उन्हें सामाजिक सुरक्षा दें, एक निर्धारित सम्मान राशी दें, हवाई-जहाज रेल की यात्रा में आरक्षण दें, अगर देश के बहादुर सैनिक देश की रक्षा में बाह्य सुरक्षा में लगा रहता है तो आपका ईमानदार कर दाता भी देश की आतंरिक व्यवस्था में लगा रहता है| देश का हर नागरिक सम्मान चाहता है और अगर आप देश के करदाताओं को समाज में विशिष्ट सम्मान देंगें तो हर कोई करदाता बनना चाहेगा| वह देश के विकाश में भागीदार बनना चाहेगा| अगर ईमानदार पहल करना चाहतें है तो पहले राजनैतिक पार्टियों को चन्दा देने वाले प्राबधान को हटाइए, कालेधन को बढ़ने वाले उन प्राबधानो को भी शिथिल कीजिये जिससे देश में एक छद्म अर्थव्यवस्था का निर्माण होता जा रहा है |
इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप आपने लिए गए फैसले पर पुनःविचार करें और देश के आम करदाताओं के हितार्थ इस योजना को क्रमबद्ध ढंग से लागू करें ताकि यह योजना अपने उदेश्यों को सही ढंग से प्राप्त कर सके |
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