राजधानी के आसपास के पांच प्रखंडों पटना सदर, फुलवारीशरीफ, मनेर, दानापुर और फतुहा में नया ईंट-भट्ठा खाेलने के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। पटना में करीब 600 ईट-भट्ठा हैं। नया लाइसेंस नहीं देने की वजह प्रदूषण है। लॉकडाउन से पहले राजधानी में वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच गया था। नवंबर-दिसंबर 2019 और जनवरी-फरवरी 2020 में एयर क्वालिटी इंडेक्स लेवल बहुत खराब हाे गया था। लेकिन, लॉकडाउन में हवा साफ हो गई है।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव आलोक कुमार ने कहा कि पुरानी तकनीक से संचालित ईंट-भट्ठाें को नवंबर तक बंद करा दिया जाएगा। इससे भी भट्ठा मालिक नहीं माने तो उन पर केस दर्ज किया जाएगा। पटना जिले के फतुहा सहित अन्य प्रखंडों में जायजा लिया गया था। कुछ लोग अब भी पुरानी तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। प्रदेश के सभी ईंट-भट्ठा मालिकों को पत्र लिखकर उन्नत तकनीक अपनाने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए 31 अगस्त 2019 तक का समय दिया गया था। अक्टूबर से फिर ईंट-भट्ठाें का जायजा लिया जाएगा।
नई तकनीक से एक लाख ईंट तैयार करने में बचेगा 8 टन कोयला
पुरानी तकनीक से संचालित होने वाले ईंट-भट्ठाें से करीब एक लाख ईंट तैयार करने में करीब 20 टन कोयले की खपत होती है। जबकि नई स्वच्छता तकनीक से तैयार करने में करीब 12 टन कोयला ही लगता है। ऐसे में 8 टन कोयले की बचत होती है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम होने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण होगा।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/license-will-not-be-given-to-open-new-brick-kiln-in-five-blocks-around-the-capital-127626392.html
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