किशोरावस्था बचपन तथा युवावस्था का संधिकाल है जो प्रायः 13 से 19 वर्ष की अवस्था तक रहता है। जिसे हम टीन एजर्स भी कहते हैं। यह अवस्था जीवन का चौराहा माना जाता है। जहां से सही दिशा में कदम बढ़ाना आवश्यक है। भारत विकास परिषद की भारती-मंडन शाखा, दरभंगा के तत्वावधान में “किशोरावस्था की चुनौतियां एवं संभावनाएं” विषयक वेबिनार में आकाशवाणी, दरभंगा के कार्यक्रम अधिशासी डॉ. अमरनाथ प्रसाद ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि किशोर एवं अभिभावकों में पीढ़ी का गैप होता है। जिसे आपसी वार्तालाप से कम करना आवश्यक है। किशोरों में जोश अधिक होता है,पर उन्हें होश देने का कार्य बखूबी माता-पिता ही कर सकते हैं। विषय प्रवर्तन कराते हुए उड़ीसा के व्यवसायी शोभाकांत झा ने कहा कि किशोरों को अभिभावक तराश कर योग्य बनाएं। क्योंकि हर बच्चे में अपार संभावनाएं होती हैं।
अभिभावक किशोर पर न थोपें अपनी महत्वाकांक्षा: वेद प्रकाश
उद्घाटन संबोधन बीएसएनएल के एसडीओ वेद प्रकाश ने कहा कि किशोरावस्था में अनेक शारीरिक एवं मानसिक बदलाव होते हैं जो कभी-कभी असहज भी हो जाते हैं। अभिभावक तानाशाह बनकर किशोरों पर अपनी महत्वाकांक्षा न थोपेन। बल्कि मित्रवत व्यवहार- विचार करते हुए किशोरों की भावनाओं का भी सम्मान करते हुए सही मार्गदर्शन प्रदान करें। यह अवस्था मानव जीवन का बसंतकाल है,जिसमें जोश के साथ होश की अधिक जरूरत है। मौके पर राजाराम प्रसाद, मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. श्यामचंद्र गुप्ता, डॉ. शंभु मंडल, संचालन करते हुए सीएम कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. आरएन चौरसिया ने कहा कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा एवं अति महत्वाकांक्षा के कारण आज किशोरों के होठों से मुस्कान एवं उनके सपने गायब हो रहे हैं। स्वागत गोविंद झा व धन्यवाद ज्ञापन विज्ञान शिक्षिका डा अंजू कुमारी ने किया।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/muzaffarpur/darbhanga/news/the-intersection-of-life-is-adolescence-it-is-necessary-to-take-right-steps-in-it-dr-amarnath-127532213.html
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