विश्व कवि तुलसी के प्रति
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तृप्त करने के हेतु
लाल हुलसी का
पारिजात है सुमन है
यो तो गुणगान की है
सीमा न बनाई गयी
फिर भी न जाता
और किसी ओर मन है
निर्गुण सगुण का
मानस समन्वय और
पाप-पुण्य का तो
सॅग-सॅग दरशन है
जिसने बचाया
उपवीत को शिखा को जय
ऐसे कवि पुंगव को
वंदन नमन है
*
~ जयराम जय
पर्णिका,11/1, कृष्ण विहार आवास विकास
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ प्र)
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