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आर्द्रा नक्षत्र विशेष

आर्द्रा नक्षत्र विशेष


वैसे तो सूर्य के राशि परिवर्तन पर ही खास ध्यान दिया जाता है, क्योंकि यह कई मायनों में अहम होता है। हालांकि सूर्य वर्ष में एक बार सभी नक्षत्रों से होकर गुजरते हैं, लेकिन इनमें से आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश काफी अहम होता है। इसका कारण यह है कि उस वक्त मौसम में पूरी तरह बदलाव आता है, जो धरती के साथ ही पूरे जनजीवन के लिए काफी अहम होता है। 
आर्द्रा का शाब्दिक अर्थ आर्द्र यानी गीला होता है, ऐसे में उस वक्त से बारिश की शुरुआत होती है और पूरी धरती पर हरियाली छा जाती है, जो अनाज की पैदावार के लिए काफी अहम होता है। 
इस वर्ष सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश 22 जून की दिन 7.05 बजे हो रहा है, जो 6 जुलाई को दिन 8:20 बजे तक रहेगा।

स्त्री -स्त्री चंद्र -चंद्र योग अश्व वाहन सौम्य  नाड़ी तदीशो  गुरु ।
- इसमें तेज हवा के साथ बादल गिरेगा किंतु सामान्य वृष्टि ही होगी आद्रा नक्षत्र से ही मानसूनी वृष्टि  की शुरुआत हो जाती है।
इस पक्ष में एक विशेष ग्रह योग यह दिखाई दे रहा है कि एक साथ चार ग्रह वक्री हो गए हैं इसका प्रभाव पक्ष के  आरंभ में  22 जून के आसपास में विशेष रूप से घटित होगा। फलस्वरुप देश के कुछ भागों में प्रलयंकारी वर्षा अथवा किसी अन्य दैविक प्राकृतिक प्रकोप से धन जन को व्यापक क्षति पहुंच सकती है।
🌹 कुल मिलाकर आर्द्रा नक्षत्र में सर्वत्र वृष्टि  होने का योग  प्राप्त हो रहे है।
           गुप्त नवरात्र
🌹 22 जून से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है इस बार  माता का आगमन हाथी पर होगा जिससे अधिक बारिश होगी जबकि माता की विदाई भैसें पर होगी जिससे रोग और शोक दोनों में वृद्धि होगी।।

$खीर, आम और पूरी का भोग लगाने की है परंपरा$

आर्द्रा नक्षत्र के दौरान भगवान शंकर और विष्णु की पूजा की जाती है। इसके लिए उन्हें खीर-पूरी और आम का भोग लगाया जाता है।

आर्द्रा नक्षत्र की खास बातें

– सूर्य जब आर्द्रा में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है, जो उत्तम वर्षा का प्रतीक है।

– इस दौरान कामाख्या में अम्बुवाची पर्व का आयोजन किया जाता है।

– आर्द्रा नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है।

– आर्द्रा के प्रथम एवं चतुर्थ चरण के स्वामी बृहस्पति और द्वितीय और तृतीय चरण का प्रतिनिधित्व शनि करते हैं।

– आर्द्रा नक्षत्र के अधिपति भगवान शिव हैं।

– आर्द्रा मिथुन राशि में ही संचरण करता है।

– आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 6 अंश 40 कला से 20 अंश तक रहता है।

कुल मिलाकर आर्द्रा नक्षत्र सबके लिये लाभकारी होगा।


पं0 धनंजय कुमार मिश्र
ट्रांसपोर्ट नगर, पटना
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