Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

पीछे पड़ जाएगा

पीछे पड़ जाएगा

--------------------

पूछा था मैंने जब गर्मी से एक दिन, 
क्यों जी,क्यों आकर तुम इतना सताती हो?
काँप काँप उठते हैं तुझसे बिहारवासी,
बताओ मुझे, ऐसे में,क्योंकर तुम आती हो??

बिजली और पानी का संकट भी साथ साथ, लेकर बिहार में जाने क्यों आती हो!
क्या कुछ बिगाड़ा है तेरा सरकार ने, आकर जो उसको भी तंग कर जाती हो!!

उत्तर मिला था तब कवि को जो गर्मी से,सुनकरके आप भी सहसा
चकराएँगे।
कवि को विश्वास है, आप समझदार हैं, अतः बेमौसम भी उसको बुलाएँगे।।

बोली,अगर मैं न आऊँ बिहार में,
कैसे बिहार तपःभूमि कहलाएगा?
साधना के क्षेत्र में जो आगे था देश में, मेरे न आने से पीछे पड़ जाएगा।।
         -मिथिलेश कुमार मिश्र 'दर्द'
दिव्य रश्मि समाज का दर्पण

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ