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अपने ही सुख से चिर चंचल

अपने ही सुख से चिर चंचल

*आभा दवे*
सभी को मेरा सादर नमस्कार एवं सभी को उनकी रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई🙏🙏💐💐💐💐💐

*आज सुमित्रानंदन पंत जी की जयंती है उनको सादर नमन करते हुए उनकी एक रचना*


अपने ही सुख से चिर चंचल
हम खिल खिल पड़ती हैं प्रतिपल,
जीवन के फेनिल मोती को
ले ले चल करतल में टलमल!

छू छू मृदु मलयानिल रह रह
करता प्राणों को पुलकाकुल;
जीवन की लतिका में लहलह
विकसा इच्छा के नव नव दल!

सुन मधुर मरुत मुरली की ध्वनी
गृह-पुलिन नांध, सुख से विह्वल,
हम हुलस नृत्य करतीं हिल हिल
खस खस पडता उर से अंचल!

चिर जन्म-मरण को हँस हँस कर
हम आलिंगन करती पल पल,
फिर फिर असीम से उठ उठ कर
फिर फिर उसमें हो हो ओझल! ।


  *प्रस्तुति*
*आभा दवे*

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