संविधान की दुहाई देने वाले ही संविधान की उड़ा रहे हैं धज्जियाँ राना ठाकुर ।
नई दिल्ली ।आरक्षण विरोधी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक यूँ एस राणा ठाकुर ने कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त न्यायालय आज देश में सबसे बड़े अन्याय पर टिप्पणी करता है कि यदि सरकारें चाहें तो इस पुरानी सड़ी गली ब्यवस्था की समीक्षा कर समाज में ब्याप्त आक्रोश को समाप्त कर सकती है मगर कोई सरकार इच्छाशक्ति नहीं दिखाती जिसका कारण वोट बैंक का तुस्टीकरण है।
पिछले दो दशक से आरक्षण की समीक्षा व इसके निराकरण के लिए अनवरत आन्दोलन रत राणा ठाकुर एंव आन्दोलन के मध्यप्रदेश प्रभारी पंडित रावेन्द्र तिवारी सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी को वक्त की माँग बताते हुए सरकारों को एक चेतावनी भी देते हैं कि यदि कोर्ट की इस बात पर संज्ञान नहीं लिया गया तो संघर्ष और बढ़ेगा ।
सड़कों पर आन्दोलन की गति बढ़ेगी आरक्षण को मानव चिड़ियाघर से तूलना करते हुए कोर्ट की सख्त टिप्पणी ने इंन्द्रा साहनी के फैसले को जो मंडल कमीशन के नाम से जाना गया था का हवाला भी दिया है ।
आरक्षण विरोधी आन्दोलन मध्यप्रदेश का नेतृत्व कर रहे समानता परिषद के अध्यक्ष रावेन्द्र तिवारी ने कहा कि राणा ठाकुर विगत 15 वर्षों से निरंतर आन्दोलन करते हुए देश के ज्यादातर हिन्दी भाषी राज्यों में संगठन को मजबूत बनाया है और जिस तरह से माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनु,जाति जन जाति पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण ब्यवस्था पर टिप्पणी की है उससे हम आन्दोलन कारियों को इस विसंगति कानून के विरोध में खड़ा होने का बहुत बड़ा अस्त्र मिल गया है जो आने वाले दिनों में हमें और भी मजबूती के साथ लड़ने में सहायक सिद्ध होगा ।