जाति न पूछो साधु की!
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मनुष्य के उत्थान का
आधार है साधुता
गृहस्थों के रूप में, विरक्तों के रूप में
सदा एक सा भाव है साधुता
वसुधैव कुटुंबकम की उदारता और महानता
होती है उदित जिसके अंतःकरण में
उसका नाम है साधुता
अज्ञानरूपी अंधकार के रौरव नरक में
डूबते उतराते मनुष्य को जो करा सके
अपनी ज्ञानरूपी नौका से पार
उस हृदय विराट का
नाम है साधुता
बदन पर भगवा वस्त्र नहीं , संस्कृति है
भगवा संकल्प है त्याग का, परमार्थ का
साधु की न पूछो धर्म और जात
कल्याण जगत का चाहना
इनका है एक उद्देश्य मात्र
फिर किस अपराध के बदले तुमने
ले ली पीट- पीट कर जान
देख तेरे इस जघन्य कृत्य को
हो गई मानवता तार- तार
राम कृष्ण की भूमि पर
जब- जब संतों का खून बहेगा
होगी शापित फिर से धरती
खंड प्रलय का तांडव होगा
वचन कृष्ण की याद रहे यह
संत स्वरूप हमारा है
धर्म की रक्षा करने हेतु
बार - बार मुझे आना है।
-- वेद प्रकाश तिवारी