- आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने ‘प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020’ पर अखिल भारतीय वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की
- आईटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.पी. भट्ट ने हितधारकों को योजना से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि लंबित कर मुकदमेबाजी को कम किया जा सके
- सरकार योजना के बेहतर कार्यान्वयन और विधेयक में संशोधनों को प्रस्तावित करने के लिए सुझावों पर गौर करने को तैयार है : सीबीडीटी अध्यक्ष श्री पी.सी. मोदी

अपने अध्यक्षीय संबोधन में न्यायमूर्ति पी.पी. भट्ट ने वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था में हितधारकों की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया और विवाद मुक्त कर संग्रह प्रणाली बनाने में केंद्र सरकार द्वारा दिखाई जा रही गहरी रुचि को समझाया। उन्होंने कहा कि कर विवादों के अधिनिर्णयन में विशेषज्ञता रखने वाले एक संस्थान के रूप में आईटीएटी ने सभी हितधारकों से अपेक्षा की कि वे इस योजना से लाभ उठाने पर विचार करेंगे, जिसका उद्देश्य लंबित मुकदमेबाजी को कम करना, सरकार द्वारा करों की समय पर वसूली सुनिश्चित करना और मुकदमेबाजी में लगने वाले करदाताओं के समय, संसाधनों एवं ऊर्जा को बचाना है। उन्होंने हितधारकों, विशेषकर टैक्स प्रैक्टिशनरों से इस पर मिशन मोड में काम करने का आग्रह किया, ताकि परिहार्य मुकदमेबाजी से ग्रस्त प्रणाली को अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिल सके, जिसका कर नीतियों पर असर पड़ता है और फिर उससे बड़े पैमाने पर करदाता प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी सत्र की सफलता बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों द्वारा इस संदेश को आगे ले जाकर अपने संबंधित संघों के सदस्यों के साथ चर्चा करने और इस योजना के उद्देश्यों को उसके तार्किक निष्कर्षों पर पहुंचाने में निहित है।

वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री कमलेश चंद्र वार्ष्णेय और श्री राजेश कुमार भूत ने इस विषय को विभिन्न कोणों से समझाया और योजना के मूल पाठ के साथ-साथ इसके कार्यान्वयन में शामिल बारीकियों के बारे में भी विस्तार से बताया।
दस बार एसोसिएशनों में से प्रत्येक के एक-एक प्रतिनिधि ने योजना के प्रभावकारी कार्यान्वयन के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव देकर परिचर्चा एवं विचार-विमर्श में भाग लिया और इसके साथ ही उन्होंने कुछ प्रश्नों के संबंध में स्पष्टीकरण भी मांगे जो योजना के कार्यान्वयन के मूल से जुड़े हुए हैं। बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से यह राय व्यक्त की कि यह योजना स्वयं विधायिका का एक अद्भुत अंश है जो लंबे समय के बाद आई है। उन्होंने महसूस किया कि आईटीएटी द्वारा तकनीकी सत्र आयोजित करने की अनूठी पहल इस योजना के कार्यान्वयन में काफी मददगार साबित होगी। बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने भी ज्ञान के मूल्यवर्धन के बारे में अपनी संतुष्टि व्यक्त की, जिसे वे संघों के अन्य सदस्यों के साथ साझा करेंगे और इसके साथ ही बिल्कुल उचित मामलों में इस योजना के तहत घोषणाओं को दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
दिल्ली जोन के उपाध्यक्ष श्री जी.एस. पन्नू ने पूरे सत्र का समन्वय किया। श्री पन्नू ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि यह योजना प्रशंसनीय है और इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि सीबीडीटी एक ऐसी व्यवस्था करे, जिससे कानून में उपयुक्त संशोधन करके मुकदमेबाजी को एक उचित सीमा में रखना संभव हो सके।
डेढ़ घंटे चली इस वीडियो कॉन्फ्रेंस का समापन पुणे जोन के उपाध्यक्ष श्री आर.एस. स्याल के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।