Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

हमारा नववर्ष

हमारा नववर्ष
डॉक्टर सच्चिदानंद प्रेमी   
 रात्रि का चतुर्थ प्रहर ,खिड़कियां हिलीं,कुछ तेजी से अंदर प्रविष्ट हुई, तने हुए तन पर पवन ने अपने हाथ फेरे और संवेदना में रोमांच हो आया ।फिर उसने मन को छुआ ,मन प्रफुल्लित हो उठा। इस प्रसन्नता का परिवर्तन या परिवर्तन की प्रसन्नता मन और तन की अठखेलियों से और आगे संस्सृत हुआ -अहा हा हा! कितना सुंदर परिवर्तन है!पहला सहला रही है यह खिड़की से झांक कर अंदर घुसने वाली दक्षिणाही हवा !लगता है बसंत आ गया!
    बसंत के आगमन पर श्रृंगार के गीत मधुपों ने   भृंग शैली में गाए। ऊषा ने अंगड़ाई ली ,वृक्षों के उत्तुंगवासी कोमल किसलय थिरकने लगे, पक्षियों के कलरव ने चीं चां का शोर परिकल्पित किया। साधुओं की टोली गंगा स्नान को जाने लगी ,प्रभाती टोली, हां !हां !गांव की प्रभाती टोली जय सियाराम जय जय सियाराम की गुंज पर थिरकने लगी ।लगता है भोर हो गया ।आंँख मांजने की आवश्यकता नहीं पड़ी आंखें विस्तारित स्वयं स्वयं ही हो गईं-इतना सुंदर ऊषा का अंचल! प्रकृति में परिवर्तन हो गया ,दक्षिणावर्ती गली के नुक्कड़ पर उठे शोर ने स्पष्ट कर दिया -नई सुबह नहीं ,नया भोर नहीं,यह तो वर्ष ही नया आ गया -नूतन वर्षाभिनंदन !
           असमंजस का दामन थाम्हे मैं अपने ड्राइंग रूम से में घुसा, टेबल पर पड़ी डायरी पलटी ,आज तो नया वर्ष है नहीं ।वह तो आज के 3 माह पूर्व ही 1 जनवरी को आ गया था ।यह कैसा नव वर्ष अभिनंदन ?फिर बाहर निकला भीतर के निर्जीव अस्तित्व को छोड़कर बाहर आया ,सब कुछ सजीव ,प्रकृति झूम -झूम कर थिरक रही थी ,जयघोषों के साथ नृत्य निरत पादप पर्वत श्रृंगो की प्रति ध्वनियां मानो घोषणा कर रही थीं -
           नए वर्ष में हम छू लेंगे नभ के चांद सितारे 
           नए वर्ष में मधुमय   होंगे सागर के जल खारे 
            बाहर-भीतर के द्वंद को मिटाने में प्रयास नहीं करना पड़ा। घर निर्जीव ड्राइंग रूम भी निर्जीव और  बाहर ?बाहर सब कुछ अजीब ! सजीव !भंवरों की भन- भनाहट ,पक्षियों का कलरव, वन वनाली की थिरकन ,जुगल जोड़ियों के गान और स्वयं के मन का असीम उत्साह ,सभी अपनी संजीदगी का ऐहसास करा रहे थे। पत्तों वाली डालियों ने पीतपर्ण उतार दिए थे , किसलय की कोमलता ने पाषाण स्लेट पर पवि से लिख छोड़ा था -संवत्सर नया-नया !
           गेहूं की नई फसल कटने लगी ,अनाजों का राजा नया चना युवराज से राजा हो गया ।नागो चा ने तो गेहूं की खलिहान में ही ऐलान कर दिया -नया वर्ष है आया है भाई नया वर्ष है आया ।
           इसकी प्रतीक्षा बसंत पंचमी से ही हो रही थी ,।झांझ मंजीरे के साथ युवकों की टोली ,किशोरों की टोली और बूढ़ों का दल नए वर्ष के स्वागत में गांव के चौपाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे ।
           नया वर्ष आ गया। सब कुछ नया, सब कुछ नया, सब कुछ नया ,जिधर देखो नया-नया ।फिर डायरी पलटी -1 जनवरी ,रजिस्टर बदला* छुट्टियों के लिस्ट बदले *पर मन में विचार आया यह नया वर्ष क्या ?न रजाई हटी न बिस्तर बदले ,न मौसम गया न मौसम नया ,नहीं फसलें नईं नहीं भूलता गई ,नया वर्ष नहीं ।यह थोपा हुआ नया वर्ष कतई स्वीकार नहीं ।एक विद्वान मित्र अपना भाषण भाष रहे थे- दिसंबर यानी डेका शब्द जो 10 में अंक का प्रतीक है ,अक्टूबर-ऑक्टा, सेप्टेंबर -सेफ्टा,नवंबर नेप्टा  सातवां महीना अक्टूबर-नवंबर दिसंबर  और अंत में 12 वांँ महीना यानी मार्च ।मार्च से आरंभ मार्च मतलब आरंभ तो फिर मार्च किया ।
            इसलिए हमारा नया वर्ष उत्साह के साथ आता है हमारा नया वर्ष संस्कार के साथ आता है हमारा नया वर्ष जयघोष के साथ आता है हमारा नया वर्ष राष्ट्र की मर्यादा के साथ आता है ।हमारा नया वर्ष आ रहा है ।नए वर्ष में धूप धूम्र और मंत्रोच्चार से चतुर्दिक मंगलमय हो रहा है ।लगता है पृथ्वी अपने उमंग में आसमान को छूना चाहती है और आसमान पृथ्वी पर झुक झुक जा रहा है ।
            और ,वह नया वर्ष क्या ?
            नया वर्ष क्या आया भाई जगे किशोर चिल्लाए 
            घने कोहरे में फंस कर कितनों ने जान गँवाए
            नया वर्ष है नई उमंग है मुंह पर नए तराने 
            कितने मुर्गे हुए शहीद फिर पार्टीन मीन अनजाने 
            नई किरण क्या फ़ैली खोया आंखों ने शुभ पानी
             कितने जलचर प्राण गंवाए भोज भात बेमानी 
             नए वर्ष में हम रच देंगे चंचल हास मनोरम       
               चुपके-छुपके मौज मस्ती से पिएंगे हाला हम भरदम 
             पौ फटने पर लोग जगेंगे देखेंगे सुबह सुनहला 
             न मौसम बदला न दिल बदला  नवृल वर्ष पर  दिल दहला।
             जय हो जय हो जय हो 
             नवल वर्ष मंगलमय हो