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कैसे कह दिये

कैसे कह दिये

संजय जैन "बीना" मुंबई
काश तुम जो मेरे पास होते। 
दिलके हर अरमान खिलते। 
तेरे सितार पर तार मेरे बजते। 
पर स्वर सरगम तेरे होते।। 

मंद-मंद हवाओं के झोंको में। 
एहसास तेरा जो हो रहा है। 
दिल दिमाग पर देखो मेरे। 
तेरी छाया जो पड़ रहा है।। 

आज सजी है महफ़िल तेरी। 
पर साज स्वर मेरा गूँज रहा। 
गीत गजल के इस माहौल में। 
पर दिल तेरा क्यों डोल रहा।। 

वर्षो बाद मिले हो देखो। 
अरमान वर्षो के फुट पड़े। 
पीढ़ा दिलकी कहने का क्या। 
तेरा क्या कोई गीत बचा।
तेरा क्या कोई गीत बचा।। 

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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