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दान दिया है दाता ने

दान दिया है दाता ने

अरुण दिव्यांश
दान दिया है दाता ने ,
विधा दी विधाता ने ,
पित्त दिया है पिता ने ,
मात दिया है माता ने ।
भ्रम से बचाया भ्राता ने ,
ज्ञान दिया है ज्ञाता ने ,
धूप से बचाया छाता ने ,
कृपा किया अधिष्ठाता ने ।
न्यौता चलाया है नेता ने ,
फिल्म चलाया अभिनेता ने ,
मानवता सिखाया त्रेता ने ,
खरीद बेंच सिखाया क्रेता ने ।
चाचा ने जब चोंच लड़ाया ,
फुफा ने फुफकार सिखाया ,
भाई को भाई नहीं भाया ,
जमाई ने भी हक जमाया ।


पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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