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कुछ होने लगा है

कुछ होने लगा है

मेरी किस्मत खुल गई
उस चेहरे को देखकर।
दिल कमल सा खिल उठा
आँखो के मिलन से।
हे मोहब्बत के देवता
हो अगर तो शुक्रिया।
क्योंकि तुमने मिलवा दिया
मुझको अपने मेहबूब से।।


करू तो क्या करू
अर्पण तुम्हें मैं अब।
बतला दो मुझको
हे मोहब्बत के देवता।
हम दोनों आगे भी
मिलने-जुलने लगे।
और अपने प्यार को
परवान चढ़ा सके।।


दिल खाली-खाली सा
बहुत रहता है।
कल्पनाओं के सागर में
डूबा रहता है।
आकर मेरा मेहबूब
बैठ जाए इसमें।
ऐसा कुछ ही दिल
मेरा सोचता रहा है।।


प्यार मोहब्बत करना
बिल्कुल नही आसान।
और निभा पाना उसे
बिल्कुल नही आसान।
धड़कन पढ़ना सीखो लो
ऐसा करो तुम काम।
तभी तेरी मोहब्बत
बहुत रंग लायेगी।।


चोट मोहब्बत में देखो
लगे अगर किसी को।
और दर्द इसका अगर
दोनों को होता है।
तो मान लेना तुम
मोहब्बत परवान चढ़ गई।
और दिल की धड़कने
महसूस हो रही है।
इसलिए प्यार का दीपक
दिलके अंदर जला उठा है।।


जय जिनेंद्र


संजय जैन "बीना" मुंबई


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