फूलों का महत्व और उपयोग
जय प्रकाश कुवंर
फूलों को विशेष कर सुगंध और कोमलता के लिए जाना जाता है। फूल का नाम लेते ही मन में एक कोमल भावना का उदय होता है। फूलों का उपयोग सजावट और अलग अलग तरह की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। कुछ फूल देवताओं पर चढ़ते हैं, कुछ पुष्प चक्र के रूप में शवों पर चढ़ते हैं, कुछ गजरे के रूप में महिलाओं के जुड़े में सजते हैं , तो कुछ फूलों का उपयोग इत्र और दवा बनाने के काम आता है।
उपरोक्त तथ्यों के अलावा कुछ फूलों का किरदार ऐसा होता है जिन्हें खाद्य पदार्थ के रूप में स्वाद, पेट भरने और जिवनोपयोगी वस्तु के रूप में जाना जाता है। ऐसे फूलों की श्रेणी में फूलगोभी के अलावा गुलर, सहजन, अगस्त, सनई, कचनार, केला, कद्दू, ब्रोकोली, सेमल, मशरूम, नेनूआ, तोरी और महुआ आदि के फूल आते हैं।
भगवान ने मनुष्य के शरीर की संरचना इस प्रकार की है कि उसे स्वाद, तृप्ति और सुगंध सब कुछ चाहिए। जहाँ उन्होंने मानव शरीर में सुगंध के लिए नाक बनाया है, वहीं उन्होंने शरीर के संचालन और स्वस्थ रहने के लिए मुंह, जीभ और पेट भी बनाया है। केवल सुगंध महसूस करने से मनुष्य का काम नहीं चल सकता है। उसे जीवन को बनाये रखने के लिए खाने और पेट भरने की आवश्यकता होती है। और इसी क्रम में वह तरह तरह की खाद्य पदार्थों का इजाद करते रहता है। पेट भरे रहने पर ही मनुष्य को सब कुछ अच्छा लगता है, भले ही सुगंध के लिए उसके उपर इत्र आदि का छिड़काव भी क्यों न किया जाये।
इस संबंध में एक कवि द्वारा रचित ये पंक्तियाँ बहुत ही सटीक बैठती हैं:-
भुखे भजन न होय गोपाला।
ये लो अपनी कंठी माला।।
अब जब भुख मिटाने और पेट भरने की बात आती है तो फूलों की कोमलता और सुगंध सब भूल कर आदमी अन्य खाद्य पदार्थों के अलावा फूलों के तरफ भी मुड़ जाता है और उपरोक्त कुछ फूलों को अपने खाद्य सामग्री में शामिल कर लेता है। इन तरह तरह के फूलों से बने व्यंजन स्वादिष्ट और पेट भराऊ होते हैं, साथ ही शक्तिवर्धक भी होते हैं।
केला, कद्दू, नेनुआ, तोरी, सहजन और फूलगोभी के फूलों से बने पकौड़े भला किसे आकृष्ट नहीं करते हैं। वहीं सनई के फूलों का साग बहुत ही स्वादिष्ट होता है। मशरूम, ब्रोकोली और फूलगोभी के फूलों से तरह तरह की सब्जियां बनती हैं। जो स्वास्थ्य के लिए अनेक लाभकारी होती हैं।
कहते हैं कि गुलर का फूल तो दिखाई ही नहीं पड़ता है, लेकिन माना जाता है कि गुलर ही फूल और फल दोनों है, जिसकी स्वादिष्ट सब्जी बनती है और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है।
महुआ के फूल का तो कहना ही क्या? यह स्वाद में मीठा होता है। इससे अनेक प्रकार के व्यंजन बनाये जाते हैं। इसके फूलों की उपयोगिता कच्चे फूल से लेकर सुखे फूल तक अनेक व्यंजन बनाने में होती है।महुआ के कच्चे फूल को धूप में सुखाकर किसान घर में रख लेते हैं। इसकी लुग्दी को आटा में मिलाकर महुअर बनता है, जो मीठा और स्वादिष्ट होता है। इसको तीसी के साथ मिलाकर कुटकर लाटा बनता है जो मीठा और स्वादिष्ट होता है। इसका उपयोग तो व्यवसायिक तौर पर मदिरा बनाने में भी होता है। इस प्रकार देखा जाए तो महुआ का फूल बहुपयोगी होता है।
फूलगोभी का फूल भी कच्चे तथा सुखे हर प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है। एक जमाने में गोभी फूल भी सीजनल हुआ करता था। लेकिन आज कल गोभी का फूल सालों भर पाया जाता है। लेकिन ठंड के सीजन में नवम्बर से लेकर जनवरी तक यह बहुतायत में मिलता है। कुछ लोग इस सीजन में व्यवहार करने के अलावा इसके फूल को धूप में सुखाकर सुखौटा के रूप में आगे व्यवहार के लिए रख लेते हैं। इसका उपयोग कच्चे और सुखे रूप में तरह तरह की सब्जियों में आलू के साथ मिलाकर किया जाता है। फूलों मॆं गोभी फूल एक बहुआयामी फूल है।
चलचित्र जगत में गीतों और संबादों में फूलों के वर्णन की भरमार है। अनेकों कवियों और रचनाकारों ने फूलों के माध्यम से अभिनेत्रियों के किरदारों को बखूबी सजाया और चमकाया है जिसमें बेली, चमेली चंपा आदि फूलों का उल्लेख मिलता है।
लेकिन सन् १९६० - ७० के दशक में एक ऐसी फिल्म संगम बनी थी, जिसके एक गाने में एक जगह गोभी फूल की चर्चा हुई है। गोभी फूल को लेकर जो गीत बना था, वो इस प्रकार है :-
सब जो गये बाग ,मेरा बुढ्ढा भी चला गया।
सब तो लाये फूल, बुढ्ढा गोभी लेकर आ गया।।
मैं हो गई बदनाम मुझे बुढ्ढा मिल गया।
मैं क्या करूँ राम मुझे बुढ्ढा मिल गया।।
इस गाने में ऐसा कहा गया है कि फिल्म का नायक अन्य सभी लोगों के साथ बाग में जाता है। जहाँ सभी लोग अपनी पत्नियों या प्रेमिकाओं के लिए सजावट का तरह तरह का सुगंधित फूल लाते हैं, वहीं फिल्म का नायक अपनी नायिका के लिए सजावट के फूल की जगह भुख और पेट की संतुष्टि मिटाने वाला गोभी फूल लेकर आ गया। इसलिए फिल्म की नायिका फिल्म के नायक को बुढ्ढा कहकर ताने मारते हुए ऐसा उपरोक्त गाना गा रही है। फूलगोभी के फूल को दर्शाता हुआ अपने तरह का यह अकेला गीत है।
फूलों के बारे में जितना भी लिखा या पढ़ा सुना जाय, वह कम है। फूल कुदरत का दिया हुआ मनुष्यों के लिए एक बहुआयामी तोहफा है ,जिसे सजावट तथा खाने दोनों रूपों में उपयोग में लाया जाता है । इसे हमें अपने दिल दिमाग और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुतायत में उगाते रहने की आवश्यकता है।
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