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कार्तिक पूर्णिमा: दिव्य त्रिवेणी संगम

कार्तिक पूर्णिमा: दिव्य त्रिवेणी संगम 

सत्येन्द्र कुमार पाठक
हर वर्ष नवंबर के महीने में आने वाली कार्तिक पूर्णिमा की तिथि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना का एक ऐसा केंद्र बन जाती है, जहाँ एक साथ कई पवित्र धाराएँ प्रवाहित होती हैं। यह केवल एक पूर्णिमा नहीं, बल्कि प्रकाश पर्व, देव दीपावली, और गंगा स्नान के विशेष पुण्य का प्रतीक है, जो मानवता को समानता, सेवा और मोक्ष के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। प्रकाश पर्व: गुरु नानक देव जी का शाश्वत संदेश - कार्तिक पूर्णिमा की तिथि सिख धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र दिन है, क्योंकि इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। यह दिन 'प्रकाश पर्व' के रूप में भव्यता से मनाया जाता है।।गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। वह एक महान संत, विचारक और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता के लिए समर्पित कर दिया।।गुरु नानक देव जी के मुख्य उपदेशों का सार:'नाम जपो': ईश्वर एक है (इक ओंकार) और उसका नाम जपने से ही मन निर्मल होता है।'किरत करो': ईमानदारी और मेहनत से जीविकोपार्जन करो। 'वंड छको': अपनी कमाई में से जरूरतमंदों के साथ बाँटकर खाओ।
इस दिन सिख धर्म के अनुयायी सुबह स्नान करते हैं, गुरुद्वारों में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं, नगर कीर्तन निकालते हैं, और गुरु के उपदेशों पर चलने का संकल्प लेते हैं। यह उत्सव गुरु नानक देव जी के समानता, प्रेम और निस्वार्थ सेवा के सार्वभौमिक संदेश को दुनिया में फैलाता है। वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा।
देव दीपावली और गंगा स्नान का महात्म्य कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में भी अत्यंत विशेष महत्व है। इस तिथि को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरकर काशी के गंगा घाटों पर दीपावली मनाते हैं। त्रिपुरारी पूर्णिमा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर देवताओं को भय मुक्त किया था, जिसके उपलक्ष्य में देवलोक में दीप जलाए गए थे।
इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में डुबकी लगाने के बाद दान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु: यह दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को भी समर्पित है, क्योंकि कार्तिक मास उनका प्रिय मास है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण का पहला अवतार हुआ था और यह भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के लिए भी खास है।
सोनपुर: गजेंद्र मोक्ष और हरिहर क्षेत्र - कार्तिक पूर्णिमा की महत्ता बिहार राज्य के सारण जिले में सोनपुर के ऐतिहासिक महत्व से और भी बढ़ जाती है। यह स्थान गंगा और गंडक नदी के पवित्र संगम पर स्थित है, जहाँ विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र का मेला लगता है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला भी माना जाता है। सोनपुर का यह हरिहर , हरहर छत्रर का क्षेत्र एक महान पौराणिक घटना से जुड़ा है, जिसे 'गजेंद्र मोक्ष' के नाम से जाना जाता है। गजेंद्र मोक्ष स्थान पर गज (हाथी) और ग्राह (मगरमच्छ) के बीच कई दिनों तक भीषण युद्ध चला था। जब गज पराजित होने लगा, तो उसने अंतिम क्षण में भगवान विष्णु का आह्वान किया। भगवान विष्णु तुरंत गरुड़ पर सवार होकर प्रकट हुए और सुदर्शन चक्र चलाकर गज को ग्राह के चंगुल से मुक्त कर उसे मोक्ष प्रदान किया।
इस कारण, यह स्थान गजेंद्र मोक्ष स्थल के रूप में विख्यात है और यहाँ गंगा स्नान करने से भक्तों को सभी कष्टों और बंधनों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। सोनपुर में स्थित हरिहर नाथ मंदिर भगवान शिव (हर) और भगवान विष्णु (हरि) के एकाकार रूप को दर्शाता है। कार्तिक पूर्णिमा का पावन दिन केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और मानवता के मूलभूत सिद्धांतों का एक संगम है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में दान, स्नान, सेवा और गुरु के उपदेशों पर चलना ही सच्चे प्रकाश की ओर ले जाता है।
गुरु नानक देव जी ने अपने पूरे जीवन में मानवता को जो सारगर्भित शिक्षा दी, उसे तीन सरल शब्दों में समेटा जा सकता है: नाम जपो, किरत करो, और वंड छको। ये केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन-पद्धति का मार्गदर्शन हैं। 'नाम जपो' का शाब्दिक अर्थ है 'ईश्वर के नाम का जाप करना' या 'ईश्वर को याद करना'। यह सिद्धांत आध्यात्मिक जीवन का आधार है और सिख धर्म के मूल दर्शन, 'इक ओंकार' (ईश्वर एक है), पर केंद्रित है।: 'नाम जपो' का अर्थ केवल जीभ से 'नाम' का उच्चारण करना नहीं है, बल्कि हृदय और मन को पूरी तरह से उस परम सत्ता (एक ओंकार) में लीन कर देना है।: गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। इसलिए, हर समय उस सत्य (परमात्मा) को याद रखने से व्यक्ति का मन सांसारिक बुराइयों, अहंकार और लोभ से दूर रहता है।: लगातार ईश्वर के नाम का ध्यान करने से आंतरिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह मनुष्य को चिंतामुक्त रहकर अपने कर्म करने की शक्ति देता है।गुरु जी ने बाहरी अनुष्ठानों और मूर्ति पूजा को महत्व न देते हुए, आंतरिक भक्ति और सच्चे हृदय से किए गए स्मरण को ही सच्चा धर्म बताया।
'किरत करो' का अर्थ है 'ईमानदारी से काम करना' या 'मेहनत करना'। यह सिद्धांत समाज में सक्रिय और उत्पादक जीवन जीने के महत्व पर जोर देता है। गुरु नानक देव जी ने हाथ से मेहनत करने और न्यायपूर्ण तरीकों से धन कमाने की शिक्षा दी। उन्होंने आलस्य, भीख माँगने या गलत तरीके से धन अर्जित करने का विरोध किया।अधिकार का सम्मान सिद्धांत में यह निहित है कि मनुष्य को कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए (हक ना छिनना)। उसे केवल अपनी मेहनत की कमाई पर ही निर्भर रहना चाहिए।किरत करो' सिखाता है कि धन को केवल अपनी जेब तक सीमित रखना चाहिए, उसे हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए। हृदय में धन को स्थान देने से लालच (लोभ) और अहंकार बढ़ता है, जो मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। गुरु जी ने कहा कि हमें चिंता मुक्त होकर अपना कर्म करते रहना चाहिए। मेहनत से कमाया गया धन ही जीवन में सुख और संतोष लाता है।'वंड छको' का अर्थ है 'बाँटना और उपभोग करना' या 'अपनी कमाई को साझा करना'। यह सिद्धांत निस्वार्थ सेवा, परोपकार और सामाजिक समानता को दर्शाता है।: यह सिद्धांत सिखाता है कि मेहनत की कमाई में से जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर रहना चाहिए। अपनी आय का एक हिस्सा दान करना और सामाजिक कल्याण में लगाना अत्यंत पुण्य का कार्य है। 'वंड छको' की भावना लंगर (सामुदायिक भोजन) की महान परंपरा की नींव है। लंगर जाति, धर्म या आर्थिक स्थिति के भेद को मिटाकर सभी को एक साथ बैठकर भोजन कराता है। यह प्रेम, एकता और भाईचारे के संदेश को मजबूत करता है।: दूसरों के साथ साझा करने से व्यक्ति में विनम्रता आती है और अहंकार का नाश होता है। गुरु नानक देव जी ने विनम्रता को मानव का सबसे महत्वपूर्ण गुण बताया। यह केवल धन या भोजन बाँटना नहीं है, बल्कि दूसरों के प्रति दया, करुणा और निस्वार्थ सेवा का भाव रखना भी है।, गुरु नानक देव जी के ये तीन उपदेश मनुष्य को एक आध्यात्मिक (नाम जपो), आर्थिक (किरत करो), और सामाजिक (वंड छको) रूप से संतुलित और सार्थक जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं।
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