Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सिरसा में बाल साहित्यकारों का भव्य अलंकरण समारोह

सिरसा में बाल साहित्यकारों का भव्य अलंकरण समारोह

सिरसा (हरियाणा) । विश्व शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में, मातेश्वरी विद्यादेवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान, सिरसा द्वारा अखिल भारतीय बाल साहित्य पुस्तक एवं पत्र-पत्रिका विमोचन तथा बाल साहित्यकार अलंकरण समारोह का भव्य आयोजन किया गया। यह समारोह श्रीयुवक साहित्य सदन के डॉ. जी.डी. चौधरी सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर से आए 39 बाल साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
समारोह का मुख्य आकर्षण बिहार के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक रहे, जिन्हें राष्ट्रभाषा हिन्दी के सर्वांगीण विकास एवं बाल साहित्य में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और आलेख विधा में बच्चों के लिए लेखन के लिए 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' से अलंकृत किया गया। उन्हें सम्मान पत्र, अंगवस्त्र, मेडल और ₹1,100 की नकद राशि प्रदान की गई। इस अवसर पर, बिहार के मुजफ्फरपुर की लेखिका एवं कवियित्री डॉ. उषा किरण श्रीवास्तव को 'अखिल भारतीय माधव प्रसाद मिश्र बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' से नवाज़ा गया। सम्मानित होने वाले अन्य प्रमुख साहित्यकारों में बिहार से सतीस चंद्र भगत, हरियाणा से त्रिलोकी चंद फतेहपुरी और दानवीर फूल, तथा कानपुर से कैलाश बजपेयी शामिल रहे। संस्थान के संयोजक सह अध्यक्ष राजकुमार निजात और मंत्री मदन शर्मा ने बाल साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले इन रचनाकारों को सम्मानित कर उनके कार्यों की सराहना की।
अलंकरण समारोह के दौरान कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इनमें रेवाड़ी, हरियाणा के त्रिलोक चंद फतेहपुरी की पुस्तकें 'बाल सौरभ बाल कविताएं', 'नेपाल दर्शन 1 (यात्रा वृतांत)', और 'ये हीरे हिंदुस्तान के काव्य संग्रह', तथा दलबीर फूल की पुस्तक 'गेडा नेपाल का' और त्रिवेणी केवम सहित अन्य रचनाकारों की पुस्तकें शामिल रहीं। संस्थान ने इस पहल के माध्यम से बाल साहित्य के उन्नयन और राष्ट्रभाषा हिंदी के विकास में योगदान देने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित किया।
समारोह के दौरान सम्मान प्रदान करने के पूर्व अलंगकरण में चर्चा करते हुए श्री पाठक के संबंध में कहा गया कि सत्येन्द्र कुमार पाठक बिहार के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व इतिहासकार हैं, जिन्हें विशेष रूप से बाल साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। सिरसा में विश्व शिक्षक दिवस पर उन्हें बाल साहित्य में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और आलेख विधा में बच्चों के लिए लेखन के लिए 'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' से अलंकृत किया गया। सत्येन्द्र कुमार पाठक को हाल के वर्षों में साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में उनके सतत प्रयासों के लिए कई सम्मानों से नवाज़ा गया है, जो उनके कार्यों की व्यापक चर्चा का प्रमाण है:
'अखिल भारतीय वैद्य वीरवल दास बाल साहित्य शिखर सम्मान 2025' (सिरसा, हरियाणा): यह सम्मान उन्हें बाल साहित्य के उन्नयन और राष्ट्रभाषा हिन्दी के सर्वांगीण विकास में उनके अनुपम योगदान के लिए प्रदान किया गया।
'डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान' (मुंबई): उन्हें हिंदी साहित्य सेवा और इतिहास के क्षेत्र में उनकी सराहनीय एवं उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया। विशेष रूप से सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में उनके प्रयासों को सराहा गया। 'जीवन धारा नमामी गंगे सम्मान 2025' को उन्हें पर्यावरण संरक्षण के उत्कृष्ट कार्यों और समर्पण के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठियों में : उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भी सम्मानित किया गया है, जो साहित्य, संस्कृति और इतिहास के क्षेत्र में उनके सतत प्रयासों का प्रतीक है।
श्री पाठक के संबंध में सम्मान देते हुए कहा गया कि सत्येन्द्र कुमार पाठक के लेखन की चर्चाएँ मुख्यतः हिंदी साहित्य, इतिहास और बाल साहित्य पर केंद्रित रहती हैं। खोज परिणामों में उनके कुछ विशिष्ट लेखन संदर्भ में 'जासूसी उपन्यास के जनक गोपालराम गहमरी' पर लेख: उनका यह लेख हिंदी साहित्य में जासूसी उपन्यास की परंपरा पर गहराई से प्रकाश डालता है, जिससे इतिहासकार और शोधकर्ता के रूप में उनकी भूमिका स्पष्ट होती है। बाल साहित्य में योगदान: सिरसा सम्मान में विशेष रूप से 'बाल साहित्य में बच्चों के लिए आलेख विधा में उत्कृष्ट लेखन' के लिए उन्हें सम्मानित किया गया, जो बाल साहित्य के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। वह बाल पत्रिकाओं के संपादन से भी जुड़े रहे हैं। उनके लेखन की चर्चा उनके निबंधों, ऐतिहासिक शोध कार्यों और बाल साहित्य में आलेख विधा में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर आधारित है। संस्थान के संयोजक सह अध्यक्ष राजकुमार निजात एवं मंत्री मदन शर्मा ने इस पहल के माध्यम से बाल साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन बाल साहित्य की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी के रचनाकारों को प्रेरित करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। समारोह में संस्थान के संरक्षक राजकुमार निजात सहित अन्य अधिकारीगण शामिल रहे।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ