अबकी बार ईमान की सरकार, एक जागरूक मतदाता की पुकार
अबकी बार ना दारू, ना जात,
ना नोटों की चमक, ना झूठी बात।
अबकी बार चलेगा बस काम,
नहीं चाहिए धोखा या बेशर्म नाम।
हर बार बिके थे वोट यहाँ,
शराब, बिरयानी, और पैसे जहां।
नेता जी आए, हाथ जोड़े थे,
फिर जीत के बाद सब तोड़े थे।
अब गाँव की गली जाग चुकी है,
अब आंखों से नींद भाग चुकी है।
ना अब जाति की चाल चलेगी,
ना ठेकेदारों की दलाली फलेगी।
जो स्कूल बनवाए, सड़क चलवाए,
जो अस्पताल में दवा दिलवाए।
जो रिश्वत न ले, जनसेवा करे,
अबकी बार वोट उसी को मिले!
ना चमचों की भीड़, ना झूठी जय-जयकार,
अब जनता खुद बनेगी सरपंच और सरकार!
हर घर से निकलेगा बदलाव का दीप,
ना बिकेगा वोट, ना होगी कोई चीप!
अब पंचायत में न होगा व्यापार,
अब होगा जनता का असली सरकार।
गाँव बचेगा, देश सँवरेगा,
जागा जो जन, वो फिर ना डरेगा!
बोलो!"काम नहीं, तो वोट नहीं!"
बोलो!"भ्रष्ट नेता की खैर नहीं!"
बोलो!"ईमानदार को ही देंगे वोट!"
बोलो! "अब खुद उठाएँगे लोकतंत्र की चोट!"
यह है एक मतदाता,"रवि" की आवाज़,
अब सिर्फ वोट नहीं,हो क्रांति की आगाज !
✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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