जब कुंठाओं से ग्रस्त आदमी रहता है,
मीठे को भी खारा खट्टा वह कहता है।नहीं देखता अच्छाई, कमियों को देखे,
शुभचिंतक को दुश्मन जैसा सहता है।
हो रही वाचाल नारियाँ आज जगत में,
संस्कारों की बात गुलामी बतलाती हैं।
जिसने पढ़ना लिखना बढ़ना सिखलाया,
आज उसी को नार विरोधी जतलाती हैं।
कोई चाहती आजादी पुरूष जगत से,
कोई अर्थ प्रधान बताती अपने मत से।
नग्न घूमना उन्मुक्त जीवन की आजादी,
वर्तमान में जीवन, सीख नहीं विगत से।
संतुष्टि जीवन में जब तक न आ पायेगी,
आगे बढने की चाह गलत राह ले जायेगी।
मेहनत करना आगे बढ़ना लक्ष्य अगर हो,
मन्जिल खुद चलकर सम्मुख आ जायेगी।
अ कीर्ति वर्द्धन
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