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कारगिल हिल पर, तिरंगी शान झिलमिल

कारगिल हिल पर, तिरंगी शान झिलमिल

छब्बीस जुलाई दिवस अद्भुत,
कारगिल विजय भव्य बेला ।
सर्वत्र बखान शौर्य गाथा,
उत्सर्ग नमित भाव नवेला ।
रज रज दर्शन अदम्य साहस,
जय हिंद उद्घोष हिल मिल ।
🇮🇳कारगिल हिल पर,तिरंगी शान झिलमिल ।।🇮🇳


हिंद जवानी रवानी अनूप,
शत्रु रणनीति धराशाही ।
खदेड़ अरि दल सीमा पार,
सेना अर्जित वाही वाही ।
पांच सौ सत्ताईस शहादत,
नव जोश उमंग प्रेरणा चिल ।
🇮🇳कारगिल हिल पर,तिरंगी शान झिलमिल ।।🇮🇳


दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र अंतर,
युद्ध कौशल कला परिचय ।
तहस नहस रिपु चौकियां,
उर विजय भव दृढ़ निश्चय ।
अथक संघर्ष विपरीत बिंदु,
हर प्रयास अभिवंदित गिल ।
🇮🇳कारगिल हिल पर,तिरंगी शान झिलमिल ।।🇮🇳


जीवन एक मात्र ध्येय,
हर्षित गर्वित राष्ट्र धरा ।
आंतरिक बाह्य सुख शांति,
देश हित तत्पर कतरा कतरा ।
राष्ट्र प्रथम मूल मंत्र आत्मसात,
प्राण आहुति सह जीवन खिल खिल ।
कारगिल हिल पर,तिरंगी शान झिलमिल ।।

कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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