श्रावण द्वितीय सोमवार,अनंत सद्यः फलदायक
कण कण निर्झर शिव भक्ति ,जन उन्मुख शिवालय ओर ।
प्रणय जन्य हृदय सरोवर,
जीवन पटल हर्ष उमंग भोर ।
मेघ आसक्त धरा हरित यौवन,
इंद्र देव कृपा खुशियां परिचायक ।
श्रावण द्वितीय सोमवार,अनंत सद्यः फलदायक ।।
रज रज अंतर शिवत्व स्पंदन,
रग रग परम उपासना भाव ।
विधिवत शिवलिंग अभिषेक,
महादेव सानिध्य जीवन नाव ।
भजन कीर्तन मोहक प्रस्तुति,
शंकर उद्घोष भू गगन विधायक ।
श्रावण द्वितीय सोमवार,अनंत सद्य:फलदायक ।।
मंदिर देवालय शंभू पर्याय,
अनवरत पूजन मंत्रोच्चार ।
घट घट उदय आस्था ज्योत,
आध्यात्म ओज अनूप बहार ।
आचार विचार सकारात्मक,
आत्म शुद्धि पथ प्रशस्ति नायक ।
श्रावण द्वितीय सोमवार,अनंत सद्य: फलदायक ।।
अद्य सावन द्वितीय सोमवार अद्भुत,
कामिका एकादशी दुर्लभ योग ।
पुनीत अवसर हरि हर साधना,
दिव्य स्वार्थ अमृत सिद्धि संजोग ।
श्रद्धालु कांवड़ियां अखंड जप तप,
सदा सुख समृद्धि वैभव प्रदायक ।
श्रावण द्वितीय सोमवार,अनंत सद्य: फलदायक ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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